मुंबई में मराठी होने के नाते घर नहीं देने वाले गुजराती पिता – पुत्र पर मामला दर्ज
पीड़ित तृप्ति देवरुखकर ने वीडियो पोस्ट कर सभी राजनितिक दलों को दी चुनौती। मनसे की दखल के बाद महिला को मिला घर
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – महाराष्ट्र की राजधानी और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई शहर पर सबसे पहला अधिकार मराठी लोगों का है, क्योंकि मुंबई को मराठी लोगों ने बनाया है। लेकिन मराठी का गला घोंटने के बारे में जो हम सुनते थे वह अब दिखने लगा है। मुंबई के मुलुंड उपनगर की एक महिला तृप्ति देवरुखकर को मराठी होने के कारण मकान देने से इनकार कर दिया गया। इस घटना का वीडियो तृप्ति देवरुखकर ने अपने फेसबुक पर पोस्ट किया और देखते ही देखते वायरल हो गया। अब इस मामले में मुलुंड पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया है। तृप्ति को कार्यालय स्थापित करने के लिए जगह की आवश्यकता थी। लेकिन इस जगह को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि मराठी लोगों को अनुमति नहीं है। ऐसा करने वाले गुजराती पिता-पुत्र के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है।
तृप्ति देवरुखकर नाम की महिला ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था। वह मुलुंड पश्चिम में ‘शिव सदन’ नामक इमारत में एक घर देखने गई थीं। हालाँकि सोसायटी के गुजराती सचिव और उनके पिता ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि हम महाराष्ट्रियों को घर नहीं देते हैं। इससे बहस शुरू हो गई और देवरुखकर ने अपने मोबाइल फोन में झगड़े का वीडियो शूट करना शुरू कर दिया। लेकिन पिता – पुत्र ने उसका मोबाइल फोन छीन लिया। तृप्ति देवरुखकर ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में दावा किया है कि उन्होंने तृप्ति के पति के साथ भी मारपीट की।
तृप्ति देवरुखकर द्वारा इस घटना को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के बाद, मनसे ने इसका संज्ञान लिया और सीधे शिव सदन सोसायटी से संपर्क किया। तृप्ति ने दूसरा वीडियो पोस्ट कर कहा है कि उन्होंने मुझे उस सोसायटी में बुलाया और उन दोनों से जवाब माँगा, साथ ही पिता – पुत्र दोनों ने मुझसे माफ़ी मांगी। इसके लिए मैं मनसे पदाधिकारियों की आभारी हूं।
तृप्ति देवरुखकर ने वीडियो पोस्ट करते हुए कहा है कि जितने भी राजनीतिक दल हैं, उन सभी को मराठी प्लेटें निकालन देनी चाहिए। मराठी मानुष का राजनीतिक इस्तेमाल बंद करें | मुझे मुंबई में एक मराठी आदमी की कीमत का एहसास हुआ। कार्यालय के लिए जगह तलाशने के लिए मुलुंड पश्चिम में शिव सदन सोसाइटी में जाने के बाद, गुजराती सचिव ने कहा कि वह मराठी लोगों को घर नहीं देंगे। नियम-कायदों के बारे में पूछा तो धमकाया। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरे पति को धक्का देते हुए कहा कि पुलिस को बताओ या किसी और को बताओ हमें कोई फर्क नहीं पड़ता। वीडियो शूट करने गए तो फोन छीन लिया, उन्हें इतना घमंड है कि वे महाराष्ट्र में रहकर एक मराठी आदमी से कहते हैं कि तुम्हें हमारी सोसाइटी में आने की इजाजत नहीं है। मराठी के नाम पर राजनीती करने वाले कहां हैं? ऐसे लोगों को पालना दुर्भाग्य है। ये मेरा रोना नहीं बल्कि मेरा गुस्सा है, आज मैंने जो अनुभव किया वह कितने मराठी लोगों ने अनुभव किया है? कितने लोगों को आवास देने से इनकार कर दिया गया है? तब मनसे नेता और पदाधिकारी इस सोसायटी में पहुंचे और उनकी चेतावनी के बाद इस सोसाइटी के लोगों ने माफी मांगी।