सत्ता और जाँच एजेंसियां हमारे हाथ में होंगी तब असली मास्टरस्ट्रोक का पता चलेगा। अजित पवार का सत्ता में शामिल होना एकनाथ शिंदे की विदाई का सन्देश है – संजय राऊत
उद्धव गुट के नेताओं की बैठक के बाद संजय राऊत का बयान, कहा बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक तय समय पर ही होगी
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – राकांपा में हुईं बगावत के बाद यह कयास लगाए जाने लगे थे कि विपक्षी दलों की एकजुटता की बेंगलुरु में 13 – 14 जुलाई को होने वाली बैठक टल जाएगी। मंगलवार को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में ठाकरे गुट के नेताओं की बैठक हुई। इसके बाद सांसद संजय राउत ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक जरूर होगी। इस बैठक में शिवसेना ठाकरे समूह पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे भी शामिल होंगे, सांसद संजय राउत ने यह भी बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बैठक में शामिल होने के लिए उद्धव ठाकरे को फोन किया था।
क्या उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना महाविकास अघाड़ी में रहेगी या विलय कर लेगी? इस सवाल पर संजय राउत ने जवाब देते हुए कहा कि शिवसेना के अगले कदम को लेकर कोई संदेह पैदा करने की जरूरत नहीं है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना का भविष्य उज्ज्वल है। जिन्होंने हमारी पार्टी छोड़ी उन्हें अपने भविष्य की चिंता करनी चाहिए, 72 घंटे में महाराष्ट्र में ऐसी घटनाएं पहलें भी हुई हैं। कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना एकजुट थे और रहेंगे।
भाजपा पर निशाना साधते हुए संजय राऊत ने कहा कि चाहे भाजपा ने हमारी पार्टी को तोड़ने की कितनी भी कोशिश की हो, लेकिन वे कुछ विधायक और सांसद ही तोड़ सकते हैं। राज्य समेत देशभर में कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना का जनाधार लगातार बढ़ रहा है। भाजपा राजनीतिक भ्रष्टाचार के जरिये सरकार बनाने की कोशिश में जुट गयी है, इसे जनता का समर्थन नहीं है। भाजपा इतिहास में दुनिया और देश की सबसे भ्रष्ट पार्टी के रूप में दर्ज की जाएगी।
कुछ लोग अजीत पवार और एकनाथ शिंदे को तोड़कर बहादुरी महसूस कर रहे हैं। कुछ लोग तो इसे मास्टरस्ट्रोक वगैरह – वगैरह कह रहे हैं। 2024 में जब सत्ता हमारी होगी और केंद्रीय जांच एजेंसीयां हमारे हाथ में आएंगी तब हम दिखा देंगे कि मास्टरस्ट्रोक क्या होता है। जब आपके हाथ में सभी जांच प्रणाली होती है, तो मास्टरस्ट्रोक मारना आसान हो जाता है, संजय राउत ने भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा।
अजित पवार के सत्ता में शामिल होने के बाद शिंदे गुट की ताकत घटी? इस सवाल के जवाब में संजय राउत ने कहा कि एकनाथ शिंदे की ताकत पहले भी नहीं थी, क्योंकि गुलामों के पास कोई शक्ति नहीं होती। गुलाम तो गुलाम होता है गुलाम में स्वाभिमान और इज्जत का कोई एहसास नहीं होता। वे पैर पोंछनेवाले हैं। इस समूह का सफाया हो गया है। अजित पवार को सत्ता में तब शामिल किया गया जब उनके पास इतना बड़ा बहुमत था। यह एक स्पष्ट संदेश है कि अब भाजपा को एकनाथ शिंदे की आवश्यकता नहीं है।