शरद पवार के दोहरी मानसिकता के चलते उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी, सत्ता और बालासाहेब ठाकरे को खो दिया। शरद पवार का गुगली वाला बयान उनकी दोहरी मानसिकता का परिचायक है – आशीष शेलार
भाजपा विधायक और मुंबई अध्यक्ष आशीष शेलार का शरद पवार पर पलटवार। कहा भाजपा इसे गुगली नहीं मानती
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – देवेंद्र फडणवीस को लेकर राकांपा सुप्रीमो के गुगली वाले बयान पर पलटवार करते हुए भाजपा मुंबई अध्यक्ष एवं विधायक आशीष शेलार ने कहा है कि शरद पवार का बयान गुगली जैसा कुछ नहीं, महज गाजर की पुंगी जैसा है। मुंबई भाजपा अध्यक्ष आशीष शेलार ने शुक्रवार को पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों पर आलोचना करते हुए कहा कि गाजर की पुंगी, बजी तो बजी नहीं तो तोड़कर खा ली।
इस बीच शेलार ने आगे कहा कि पवार की पुंगी शिवसेना के साथ बजेगी या भाजपा के साथ बजेगी, इसके लिए बजायी गई। जहां बजी वहाँ बजाया, जहाँ नहीं बजी वहा तोड़कर खा ली गई। हम इसे गूगली नहीं मानते, यह शक्ति का प्रदर्शन है। सत्ता के लिए कुछ भी करने का ये बिजनेस शरद पवार की उस वक्त की अलग-अलग पार्टियों से बातचीत का है।
आगे बोलते हुए शेलार ने कहा कि जब देवेन्द्र जी ने इस मुद्दे पर बात की तो आधा सच सामने आ गया। हम इस मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा के लिए तैयार हैं, जिसमें सारी सच्चाई सामने आ जायेगी। इस गाजर पुंगी में अगर वास्तव में कोई चारो खाने चित्त हुआ है, तो वह उद्धव ठाकरे की शिवसेना है। शरद पवार की इस पुंगी के कारण उद्धवजी की पार्टी, नाम, सत्ता, हिंदुत्व और पूज्य बालासाहेब का नाम सब कुछ खो गया। ‘कहींपर निगाहें, कहीं पर निशाना’ के कारण उद्धव ठाकरे की पार्टी खत्म हो गई। आज शरद पवार को एहसास हुआ कि एकनाथ शिंदे का विद्रोह कितना सही था। एकनाथ शिंदे और उनके सहयोगी पहले दिन से ही उद्धव ठाकरे से कह रहे थे कि राकांपा हमें खत्म करने जा रही है। वे हमारे साथ दोहरा खेल खेल रहे हैं, राकांपा पर भरोसा मत करो। वे कह रहे थे कि कब बदल जायेंगे कुछ कहा नहीं जा सकता। आज शरद पवार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि, वे हमसे बात करने को इच्छुक थे। वे हमसे बात कर रहे थे, बात की.. इसका मतलब है कि वह शिवसेना के प्रति ईमानदार नहीं थे। ऐसा पहले दिन भी नहीं था और आज भी नहीं है। इसलिए आज शरद पवार साहब ने सबूत दिया है कि एकनाथ शिंदे का विद्रोह सही था और उसका एक वैचारिक आधार था।
आगे बोलते हुए शेलार ने कहा कि संजय राउत के तंज उनकी खुद की पार्टी और महाराष्ट्र की जनता का अपमान हैं। क्या इस तथ्य का कि उन्होंने शिंदे-फडणवीस सरकार का उपहास किया, इसका मतलब यह है कि वे सोचते हैं कि महाराष्ट्र के लोग मूर्ख हैं? ऐसा सवाल लोगों के मन में है। लोगों ने भाजपा -शिवसेना को वोट दिया, जनता के मन में एक सरकार की स्थापना हुई। उनका मजाक उड़ाना जनता को मूर्ख बनाने जैसा ही है। वे अपने मुर्गे को चाहे कितनी भी मिर्ची लगा लें, मुर्गा बांग देना बंद नहीं करेगा, सूरज उगना बंद नहीं करेगा। जो लोग सूरज पर थूकने का प्रयास करते हैं, उनका थूंक पलटकर उनके ही चेहरे पर गिरता है। यह आलोचना कोई नई बात नहीं है कि संजय राउत को अपने चेहरे पर थूकने की आदत है।