राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव को लेकर एक बड़ा अपडेट, लोकसभा चुनाव के बाद ही हो सकेंगे महानगर पालिका के चुनाव
इन चुनावों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब 28 नवंबर को। मार्च – अप्रैल के बीच लोकसभा चुनाव की संभावना
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – पुणे, पिंपरी-चिंचवड़ समेत राज्य की 27 में से 25 महानगर पालिकाएं फिलहाल प्रशासकों के शासन में हैं, स्थानीय स्वशासन चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका पर होने वाली सुनवाई 28 नवंबर तक बढ़ा दी गई है। इसलिए संभावना है कि स्थानीय स्वशासन के चुनाव लोकसभा चुनाव के बाद होंगे।
राज्य में 300 से अधिक पंचायत समितियों, महानगर पालिकाओं, नगर परिषदों में वर्तमान में प्रशासक नियुक्त हैं। चूंकि धुले और नगर महानगर पालिका का कार्यकाल 30 दिसंबर को समाप्त हो रहा है, इसलिए वर्ष के अंत तक सभी महानगर पालिका प्रशासकों के हाथों में रहेंगे।
पुणे, पिंपरी-चिंचवड़ महानगर पालिका का कार्यकाल 15 मार्च 2022 को समाप्त हो गया है। ठाकरे सरकार ने महानगर पालिका चुनाव तीन सदस्यीय वार्ड के आधार पर कराने का फैसला किया था। तदनुसार 20 अगस्त 2021 को राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी महानगर पालिकाओं को वार्ड बनाने का आदेश दिया। इन चुनावों में इस मुद्दे पर देरी हुई कि ‘ओबीसी’ के लिए आरक्षण के बिना कोई चुनाव नहीं होगा। राज्य में सत्ता हस्तांतरण के बाद शिंदे सरकार द्वारा वार्ड में सदस्यों की संख्या में बदलाव के कारण 4 अगस्त को प्रक्रिया रोक दी गई थी। इसके मुताबिक नगर विकास विभाग ने पिछले साल 22 नवंबर को नये डिवीजन का आदेश दिया था। इस फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है और फैसला लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर सुनवाई होने की उम्मीद थी, हालांकि अब यह सुनवाई 28 नवंबर को होगी। राजनीतिक कार्यकर्ताओं की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या उस वक्त सुनवाई होगी, क्या इस पर फैसला होगा और अगर फैसला हो भी गया तो क्या चुनाव की घोषणा होगी। अगले साल मार्च माह में लोकसभा आम चुनाव की आचार संहिता लगने की उम्मीद है। इन चुनावों की प्रक्रिया अप्रैल के अंत तक पूरी हो जाएगी। इसलिए महानगर पालिका चुनाव लोकसभा के बाद होने की संभावना है। यदि ये चुनाव लोकसभा के बाद होने हैं तो समय रहते तैयारी करनी होगी, अन्यथा मानसून को देखते हुए इन्हें स्थगित कर दिया जाएगा। इसके बाद सितंबर में विधानसभा के आम चुनाव होने की उम्मीद है। इस पृष्ठभूमि में स्थानीय स्व-सरकारी निकायों का चुनाव अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के बाद ही राज्य चुनाव आयोग के पास आएगा।
पिछले साल दायर याचिका में 35 याचिकाकर्ता हैं, इस याचिका को राज्य सरकार द्वारा किसी न किसी कारण से विलंबित किया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि राज्य सरकार द्वारा याचिका में देरी की जा रही है, चूंकि शासक चुनाव नहीं चाहते, इसलिए वे इसमें देरी कराने की कोशिश कर रहे हैं।