इस साल भी लटक सकता है बागी विधायकों की अयोग्यता पर विधानसभा स्पीकर का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बावजूद फैसला लेने में टालमटोल कर रहे हैं राहुल नार्वेकर। उद्धव गुट ने लगाया असंवैधानिक सरकार को बचाने का आरोप
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को शिवसेना के बागी विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता वाली याचिका पर सुनवाई में देरी पर जमकर फटकार लगायी थी। इसके बावजूद स्पीकर ने फिलहाल मामले को लटका दिया है। ज्ञात हो कि इस याचिका के खिलाफ 6 अक्टूबर को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत 16 शिवसेना के बागी विधायक जवाब देंगे। इसके बाद 13 अक्टूबर को उद्धव गुट की याचिका पर बहस और सुनवाई होगी।
शिंदे गुट ने सभी 34 याचिकाओं को एकसाथ न जोड़ने की मांग की है, वहीं उद्धव गुट की मांग है कि याचिकाओं पर अलग – अलग सुनवाई नहीं होनी चाहिए। अध्यक्ष राहुल नार्वेकर इसपर 20 अक्टूबर को फैसला लेंगे कि सुनवाई एकसाथ की जाये या अलग – अलग।
27 अक्टूबर को दोनों पक्ष अपनी दलिलें पेश करेंगे कि किन दस्तावेजों को स्वीकार किया जाना चाहिए। 6 नवंबर को दोनों पक्ष लिखित जवाब दाखिल करेंगे कि अयोग्यता के मुद्दे पर फैसला करते समय किन मुद्दों का विचार किया जाना चाहिए। इसके बाद 10 नवंबर को स्पीकर दोनों पक्ष की दलील सुनेंगे। 20 नवंबर को दोनों पक्ष अपने गवाह और सपथपत्र आयोग को सौंपेंगे। इस मामले पर 23 नवंबर को जिरह होगी, तत्पश्चात जिरह और सुनवाई पूरी होने के दो सप्ताह बाद विधानसभा अध्यक्ष अपना फैसला सुनाएंगे।
उद्धव गुट ने तारीखों को लेकर ऐतराज जताते हुए कहा है कि सुनवाई में देरी के लिए इस तरीके से तारीखों को निर्धारित किया गया है। बता दें कि तारीखों की जानकारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा उद्धव ठाकरे गुट की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान हुआ है। उद्धव गुट ने कहा था कि याचिका की सुनवाई में देरी हो रही है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से विधायकों की अयोग्यता मामले पर सुनवाई करने का आदेश दिया था।
उद्धव गुट ने दावा करते हुए कहा है कि इस मामले को 2 महीनों तक खींचने की कोई जरुरत नहीं है। स्पीकर द्वारा अयोग्यता को लेकर दायर याचिकाओं को एकसाथ जोड़ देना चाहिए और अपना फैसला देना चाहिए।
सुनवाई की तारीखों का ऐलान होने के कुछ ही घंटों के बाद आदित्य ठाकरे ने स्पीकर पर जमकर हमला बोला। उन्होंने लिखा हालांकि गेंद अब राहुल नार्वेकर के हाथ में है, लेकिन ऐसा लग रहा है कि अध्यक्ष देरी की रणनीति अपनाकर असंवैधानिक सरकार को बचाने का प्रयास कर रहे हैं। यह एक असंवैधानिक प्रक्रिया है और बेहद दुखद बात है। इस तरह से सरकार का समर्थन नहीं किया जाना चाहिए।