उपमुख्यमंत्री चाचा को विधायक भतीजे की खरी – खरी
सरकारी कर्मचारियों की कॉन्ट्रैक्ट भर्ती को लेकर चाचा अजित पवार पर भड़के रोहित पवार, कहा ऐसा है तो सरकार को ही कॉन्ट्रैक्ट पर क्यों नहीं दे देते
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कई पद नहीं भरे जाने से जहां बेरोजगार युवाओं में नाराजगी है, वहीं सरकारी संविदा भर्ती पर सरकार के निर्णय को लेकर युवाओं में यह भावना है कि महायुति सरकार ने राज्य के शिक्षित बेरोजगारों के साथ अन्याय किया है। इन युवाओं की पुकार सुनकर राकांपा नेता विधायक रोहित पवार ने संविदा भर्ती का कड़ा विरोध किया है। अपने चाचा उपमुख्यमंत्री अजीत पवार द्वारा संविदा भर्ती का समर्थन करने के बाद रोहित पवार ने सीधे तौर पर विधायकों और सांसदों के वेतन की ओर इशारा करते हुए अपनी सरकार को संविदा के आधार पर चलाने दो जैसे कड़े शब्दों में सरकार की नीति की निंदा की है।
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बयान दिया था कि एक सरकारी कर्मचारी के वेतन में तीन अनुबंध कर्मचारी काम करेंगे। रोहित पवार ने उनके बदलते बयान और रुख पर हैरानी जताई। रोहित पवार ने अजित पवार पर पलटवार करते हुए कहा है कि इसी नजरिए से सोचें तो एक विधायक – सांसद पर होने वाले करोड़ों रुपये के सरकारी खर्च में हजारों कर्मचारी काम कर सकेंगे।
बागी विधायकों की सुरक्षा के लिए सरकार 150 करोड़, शासन आपल्या दारी कार्यक्रम की हर बैठक पर 8-10 करोड़ और उसके विज्ञापन पर 52 करोड़ खर्च करती है। लेकिन यह सरकार इसमें कटौती करने पर विचार नहीं करती। फिर सरकार केवल कर्मचारियों की भर्ती के लिए ही इतना ध्यान से क्यों सोचती है? जो सरकार सामान्य परिवारों के छात्रों से परीक्षा शुल्क के माध्यम से हजारों करोड़ रुपये वसूलने के बावजूद पारदर्शी परीक्षा आयोजित नहीं कर सकी, वह आज निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए अनुबंध भर्ती का जीआर जारी कर रही है। केंद्र सरकार की तरह अनुबंध भर्ती का गुणगान कर रही है। अगर ऐसा ही है तो क्यों न सरकार को ही किसी कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट पर चलाने के लिए दे दिया जाये। रोहित पवार ने सरकार के फैसले पर नाराजगी जताते इस फैसले को तत्काल वापस लेने की मांग की है।
एक तरफ सरकार आरक्षण देने के लिए बैठकें कर रही है. इस बीच, विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि सरकार ने संविदा भर्ती के कारण आरक्षण समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया है। इस दौरान उन्होंने यह भी पूछा कि संविदा भर्ती के फैसले से सरकार के कामकाज की गोपनीयता का क्या होगा। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि संविदा भर्ती का काम भाजपा से जुड़े लोगों की कंपनियों को दिया गया है और इसमें जनप्रतिनिधियों की कंपनियों को भी काम दिया गया है, उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार संविदा भर्ती के जरिए भाजपा के लोगों का खजाना भरने जा रही है।