ड्रग तस्करी में मुंबई पहलें स्थान पर, तो गांजा बेचने में नागपुर अव्वल

Spread the love

ड्रग तस्करी में मुंबई पहलें स्थान पर, तो गांजा बेचने में नागपुर अव्वल 

राज्य पुलिस की वेबसाइट से बड़ा खुलासा। ड्रग्स का संकट कॉलेज के छात्रों से लेकर स्कूली बच्चों से होते हुए बड़ी आईटी कंपनियों के दफ्तर तक पहुँचा 

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – युवाओं की नशे की लत के कारण राज्य में मादक पदार्थों की तस्करी और बिक्री बढ़ गयी है| सबसे ज्यादा नशीली दवाओं की तस्करी मुंबई में हो रही है और 16 अगस्त तक 997 मामलों में 46 करोड़ की ड्रग्स जब्त की गई है, जबकि नागपुर राज्य में दूसरे नंबर पर है। यह चौंकाने वाली जानकारी राज्य पुलिस की वेबसाइट से मिली है।

इस समय राज्य में बड़े पैमाने पर नशीली दवाओं और अन्य नशीले पदार्थों की तस्करी और बिक्री बढ़ गई है। नशीली दवाओं की लत पहले अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित थी, हालाँकि अब ड्रग्स का संकट कॉलेज के छात्रों से लेकर स्कूली बच्चों से लेकर बड़ी आईटी कंपनियों के दफ्तर तक पहुँच गया है। इसमें कई दलाल सक्रिय हैं क्योंकि दवाओं से होने वाला राजस्व करोड़ों में है। मुंबई और गोवा दो ऐसे शहर हैं जो मादक पदार्थों की तस्करी का सबसे बड़ा केंद्र हैं।

मुंबई से महाराष्ट्र के तमाम शहरों में ड्रग्स, हेरोइन, एमडी, चरस और कोकीन की डिलीवरी होती है। कमजोर पुलिस नेटवर्क और रिपोर्टों के कारण मादक पदार्थों की तस्करी आज भी बड़े पैमाने पर हो रही है। कई मादक पदार्थ तस्करों के राजनीतिक संबंध हैं और कुछ के पुलिस विभाग से। इसलिए चाहे कितनी भी रोकथाम कर ली जाए, यह सच है कि नशा हर शहर तक पहुंच रहा है।

दवाओं का उपयोग शारीरिक और यौन प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए किया जाता है, इसीलिए युवाओं में नशे की लत बढ़ी है। जो युवा महिलाएं पब और क्लबों में मारिजुआना सिगरेट से शुरुआत करती हैं, वे अंततः नशीली दवाओं की आदी हो जाती हैं। फिर ड्रग्स पाने के लिए वेश्यावृत्ति की ओर चली जाती हैं। इसके अलावा कई क्लबों में युवतियों को नशे की लत लगाई जाती है। इसके बाद खबर है कि नशीली दवाओं की तस्करी और वेश्यावृत्ति के लिए युवतियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

पुलिस की एनडीपीएस टीम के मुंबई से राज्य पार करने वाले ड्रग तस्करों के साथ ‘सार्थक’ संबंध हैं। क्योंकि करोड़ों में ड्रग्स की खरीद-फरोख्त हो रही है, ऐसे में अगर ड्रग्स पुलिस के हाथ लग जाए तो भारी नुकसान होता है। इसलिए तस्करों के गिरोह सीधे पुलिस से हाथ मिला लेते हैं। पुलिस की इसी भूमिका के कारण देश की युवा पीढ़ी नशे की आदी होती जा रही है। चर्चा है कि भले ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ‘ड्रग्स फ्री सिटी’ अभियान चला रहे हैं, लेकिन कर्मचारी पैसा कमाने के लिए समझौते कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Right Menu Icon