महाराष्ट्र के बाद नगालैंड में भी शरद पवार को तगड़ा झटका 

महाराष्ट्र के बाद नगालैंड में भी शरद पवार को तगड़ा झटका 

नगालैंड राकांपा के सभी सात विधायकों और पदाधिकारीयों ने दिया अजित पवार को समर्थन। नगालैंड प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल को दी जानकारी 

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) में टूट के बाद नगालैंड में पार्टी के 7 विधायक अजित पवार गुट में चले गए हैं। राकांपा अजित पवार गुट के राष्‍ट्रीय प्रवक्‍ता ब्रजमोहन श्रीवास्‍तव ने बताया कि नगालैंड के प्रदेश अध्‍यक्ष वानथुंग ओडियो ने दिल्‍ली आकर राष्‍ट्रीय कार्यकारी अध्‍यक्ष प्रफुल्‍ल पटेल और महाराष्ट्र अध्‍यक्ष सुनील तटकरे से मुलाक़ात की और उन्होंने नगालैंड राकांपा के निर्णय की जानकारी दी। ओडियो ने 7 विधायकों सहित सभी पदाधिकारियों के समर्थन के शपथ पत्र भी सौंपे। पार्टी के राज्य में पदाधिकारी भी अजित पवार को समर्थन देंगे।

इस पर प्रफुल्‍ल पटेल ने आश्‍वासन दिया कि वे पार्टी को मजबूत करने के हर संभव प्रयासों में उनका साथ देंगे। पटेल ने नगालैंड की प्रदेश कार्यकारिणी और जिला यूनिट को पहले जैसे कार्य करते रहने का निर्देश भी दिया है।

नगालैंड राकांपा के ब्रजमोहन श्रीवास्‍तव ने एक प्रेस रिलीज में कहा कि नगालैंड राष्‍ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की संपूर्ण प्रदेश कार्यकारिणी और जिलों के पदाधिकारियों ने गहन चर्चा के बाद यह फैसला लिया है कि वे राकांपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अजित पवार और राष्‍ट्रीय कार्यकारी अध्‍यक्ष प्रफुल्‍ल पटेल के नेतृत्‍व में काम करेंगे। नगालैंड राकांपा ने अध्‍यक्ष वानथुंग ओडियो को इस फैसले से राष्‍ट्रीय नेतृत्‍व को अवगत कराने के लिए कहा गया था।

2 जुलाई को अजित पवार ने चाचा शरद पवार से बगावत कर दी थी। अजित पवार आठ अन्य राकांपा विधायकों के साथ शिवसेना शिंदे गुट – भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे। उन्हें राज्य का उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री बनाया गया है। अजित पवार के इस कदम से राकांपा दो गुट में बंट गई।

उपमुख्यमंत्री बनते ही अजित पवार ने पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा था कि राकांपा का नाम और चुनाव चिन्ह हमारे पास ही रहेगा। अजित पवार ने इसके साथ ही शरद पवार के नगालैंड मॉडल पर रोशनी डाली थी। उन्होंने कहा कि पहले नगालैंड में राकांपा के 7 विधायक थे और पार्टी के फैसले पर सभी विधायक भाजपा के साथ चले गए। इसी तरह राकांपा महाराष्ट्र राज्य के विकास के लिए भाजपा के साथ क्यों नहीं जा सकती है?

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