नवाब मालिक को बॉम्बे हाईकोर्ट से भी झटका
निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देने के बावजूद नहीं मिली ज़मानत
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई : उच्च न्यायालय ने गुरुवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता एवं पूर्व मंत्री नवाब मलिक को जमानत देने से इनकार कर दिया, जो कुख्यात गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम की मुंबई स्थित संपत्तियों से संबंधित वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में लंबे समय से न्यायिक हिरासत में हैं।
नवाब मलिक फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं लेकिन किडनी के इलाज के लिए पिछले कई महीनों से कुर्ला के एक निजी अस्पताल में भर्ती हैं। विशेष अदालत द्वारा चिकित्सा आधार पर जमानत देने से इनकार करने के बाद मलिक ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की एकल पीठ ने मलिक की याचिका पर फैसला करते हुए उन्हें चिकित्सा आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया है।
मलिक और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने मलिक की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उससे पहले ईडी ने दलील पेश करते हुए कहा कि एक किडनी पर भी सामान्य जीवन जिया जा सकता है। लोग दो में से एक किडनी दान कर देते हैं और एक किडनी पर भी सामान्य जीवन जीते हैं। रही बात तनाव की तो तनाव तो सभी को रहता है। इसलिए इन दो आधारों पर मेडिकल जमानत नहीं दी जा सकती।
दूसरी ओर मलिक ने दावा किया कि उनकी एक किडनी खराब हो गई है और दूसरी 60 प्रतिशत काम कर रही है। यही कारण है कि मलिक ने मांग की कि उनकी स्थिति पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाना चाहिए और मानवता के दृष्टिकोण से इस मामले पर विचार करते हुए उन्हें मेडिकल जमानत दी जानी चाहिए। बहस के दौरान मलिक की किडनी की स्थिति पर एक रिपोर्ट भी पेश की गई। इतना ही नहीं मलिक की तबीयत पिछले आठ महीने से खराब चल रही है। वह पहले से ही मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अस्थमा और लीवर की बीमारियों से पीड़ित हैं। मेडिकल जमानत की मांग करते हुए मलिक ने यह भी दावा किया था कि आठ महीने में उसका वजन 16 किलो कम हो गया है और किडनी की बीमारी के कारण उन्होंने अपने माता-पिता और भाई को खो दिया है।
ईडी ने यह भी दावा किया कि मलिक द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट मेडिकल जमानत के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके अलावा इस दावे के समर्थन में जे.जे.अस्पताल की विशेषज्ञ रिपोर्ट भी अदालत में पेश की गई। मलिक का उनके द्वारा सुझाए गए निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। इसलिए ईडी की ओर से दावा किया गया कि उन्हें मेडिकल जमानत देने की कोई जरूरत नहीं है।