राहुल गाँधी के 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने पर गहराया संकट। मानहानि मामले में गुजरात हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
हाईकोर्ट ने कहा निचली अदालत का फैसला न्यायोचित। राहुल गाँधी करेंगे सर्वोच्च न्यायलय का रुख
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – गुजरात हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मोदी सरनेम केस में पूर्व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की 2 साल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा इस केस के अलावा राहुल के खिलाफ कम से कम 10 केस पेंडिंग हैं। ऐसे में सूरत कोर्ट के फैसले में दखल देने की जरूरत नहीं है।
कांग्रेस ने गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के बाद कहा कि हम अब सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। 23 मार्च 2023 को सूरत की सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी। हालांकि, इस फैसले के 27 मिनट बाद उन्हें जमानत मिल गई थी। इसके अगले दिन 24 मार्च को राहुल की सांसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी।
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा- इस केस में सजा न्यायोचित
गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस हेमन्त प्रच्छक ने कहा कि राहुल गाँधी के खिलाफ कम से कम 10 क्रिमिनल केस पेंडिंग हैं। इस केस के अलावा उनके खिलाफ कुछ और केस फाइल किए गए हैं। एक तो वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है। किसी भी हाल में सजा पर रोक नहीं लगाना अन्याय नहीं है। इस केस में सजा न्यायोचित और उचित है। राहुल गांधी ऐसे आधार पर सजा पर रोक की मांग कर रहे हैं, जिनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। सूरत कोर्ट के फैसले में दखल की आवश्यकता नहीं है। याचिका खारिज की जाती है।
राहुल गाँधी गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। अगर राहुल गाँधी को इस केस में वहां राहत मिल जाती है तो उनकी सांसद सदस्यता बहाल हो जाएगी और वे 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ पाएंगे, और अगर ऐसा नहीं होता है तो वे 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक की जनसभा में मोदी सरनेम को लेकर बयान देते हुए कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है। इसके बाद गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गाँधी के खिलाफ मानहानि का केस किया था।
राहुल गाँधी की संसद सदस्यता 24 मार्च को दोपहर करीब 2.30 बजे रद्द कर दी गई। वह केरल के वायनाड से लोकसभा सदस्य थे। लोकसभा सचिवालय ने पत्र जारी कर इस बात की जानकारी दी थी। लोकसभा की वेबसाइट से भी राहुल का नाम हटा दिया गया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत में दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा। कोर्ट ने लिली थॉमस बनाम भारत सरकार के केस में यह आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक विधायक या सांसद की सदस्यता खत्म नहीं करने का प्रावधान था।