महाराष्ट्र में लोकसभा की दो सीटें खाली, फिर भी उपचुनाव से दुऱ भाग रही प्रमुख पार्टीयाँ
जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत रिक्त हुईं लोकसभा या विधानसभा की सीट पर छह महीने के भीतर उपचुनाव अनिवार्य
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई : पुणे के सांसद गिरीश बापट के निधन के बाद महाराष्ट्र के ही चंद्रपुर से कांग्रेस सांसद बालू धानोरकर की मृत्यु के बाद राज्य की दो लोकसभा सीटें खाली हो गई हैं, एक साल बाद होने वाले आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए भाजपा और कांग्रेस भी उपचुनाव से बचना चाहती हैं।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत लोकसभा या विधानसभा में खाली सीटों को भरने के लिए छह महीने के भीतर उपचुनाव कराने का प्रावधान करता है। अपवाद केवल दो चीजों के लिए हो सकते हैं। लोकसभा या विधानसभा की अवधि के लिए एक वर्ष या उससे कम समय शेष हो या दूसरा अपवाद यह है कि अगर चुनाव आयोग केंद्र सरकार के परामर्श के बाद अगले छह महीने के भीतर उपचुनाव संभव नहीं है वाले बयान से संतुष्ट हो जाता है। जिसमें युद्ध की स्थिति, बीमारी, प्राकृतिक आपदा, कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण उपचुनाव को स्थगित करने का प्रावधान करता है।
मौजूदा 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त हो रहा है। चूंकि बालू धनोरकर का 30 मई को निधन हो गया, इसलिए लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होने में एक वर्ष और 18 दिन शेष हैं। यानी एक साल की अवधि से 18 दिन ज्यादा। पुणे सीट 29 मार्च को खाली हुई थी। इसके चलते 29 सितंबर तक उपचुनाव कराना जरुरी है। केंद्र सरकार से परामर्श के बाद यदि चुनाव आयोग की राय में छह महीने की अवधि के भीतर उपचुनाव नहीं हो सकते हैं, तो उपचुनाव टाले जा सकते हैं। पुणे में उपचुनाव नहीं चाहती भाजपा क्योंकि पुणे के कस्बा पेठ उपचुनाव में भाजपा को करारी हार मिली थी। इसके अलावा भाजपा को जातिगत राजनीती के चलते भी नुकसान उठाना पड़ा है।