भाजपा के व्यवहार पर फूटने लगी है शिंदे गुट के सांसदों – विधायकों की नाराजगी

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भाजपा के व्यवहार पर फूटने लगी है शिंदे गुट के सांसदों – विधायकों की नाराजगी

सीटों के बंटवारे, मंत्रिमंडल विस्तार और निर्वाचन क्षेत्र को उचित निधि नहीं मिलने से शिंदे खेमा नाराज

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई : सत्ता में रहते हुए भी कई नेता सत्तालाभ से वंचित हैं और भाजपा उनके साथ दुर्व्यवहार कर रही है, जो पिछले कुछ महीनों से चल रही बेचैनी को बढ़ा रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के विधायक-सांसद लोकसभा और विधानसभा में सीटों के बंटवारे, मंत्रिमंडल विस्तार और सत्ता में रहने के बावजूद उन्हें तवज्जो नहीं मिलने पर खुलकर नाराजगी जता रहे हैं।

हालांकि राज्य में शिंदे और भाजपा गठबंधन की सरकार है, लेकिन केंद्र में शिंदे गुट को सत्ता में हिस्सेदार नहीं बनाया गया है। इसलिए मंत्री पद के लिए बेताब शिंदे गुट के सांसद बेचैन हैं। गजानन कीर्तिकर को शिंदे गुट के संसदीय दल का नेता चुना गया है। लेकिन एनडीए में घटक दल के विपरीत, उन्हें मोदी सरकार के मंत्रियों द्वारा सम्मान या काम नहीं दिया जाता है। इसलिए कीर्तिकर ने खुले तौर पर भाजपा के व्यवहार पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। यहां तक कि हाल ही में मुख्यमंत्री शिंदे द्वारा की गई बैठक में भी कीर्तिकर और अन्य नेताओं ने जोरदार तरीके से भाजपा का विरोध करते हुए अपनी नाराजगी व्यक्त की।

लोकसभा-विधानसभा चुनाव के लिए भले ही भाजपा और शिंदे गुट के बीच सीटों का बंटवारा नहीं हुआ हो, लेकिन भाजपा ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में जोरदार तैयारी शुरू कर दी है। शिंदे गुट को अब यह अहसास हो गया है कि भाजपा 2019 में शिवसेना को मिली सीटों की तरह 22 लोकसभा सीटें और 124 विधानसभा सीटें नहीं देगी। इसलिए कीर्तिकर और अन्य नेता यह मांग करने लगे हैं कि पिछले चुनावों में शिवसेना को दी गई सभी सीटें शिंदे गुट को दी जानी चाहिए। मंत्रिमंडल विस्तार भी रुका हुआ है और वर्तमान में भाजपा-शिंदे गुट के नौ-नौ नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिली है। जबकि शिंदे गुट के और निर्दलीय विधायक मिला कर कुल 50 विधायक हैं, वे मंत्रीमंडल और कैबिनेट से वंचित हैं। अन्य नेताओं को सत्ता का लाभ नहीं मिलने से असंतोष बढ़ रहा है।

हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने से भाजपा में भी नाराजगी है, लेकिन खुलकर जाहिर नहीं किया जा रहा है। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में पार्टी पदाधिकारियों से बलिदान की अपील करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें मंत्री पद की मांग नहीं करनी चाहिए। इसलिए मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होगा और अगर होता है तो भाजपा नेताओं को ज्यादा जगह नहीं मिलेगी। चर्चा इस बात पर चल रही है कि फडणवीस ने जिन लोगों को पद नहीं मिला उनसे त्याग करने की अपील क्यों की जब उन्हें त्याग करना पड़ा। सत्ता में रहने के बावजूद उन्हें मंत्री पद का लाभ नहीं मिल रहा है, दोनों तरफ से नाराजगी है, लेकिन शिंदे समूह का गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

शिंदे गुट के प्रमुख नेता भरत गोगावले ने दो जून से पहले मंत्रिमंडल का विस्तार होने का दावा किया है, उन्होंने रायगढ़ के संरक्षक मंत्री पद का भी दावा किया है। जबकि बच्चू कडू ने मंत्री पद की मांग की है। फिलहाल मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कीर्तिकर, गोगावले, कडू या किसी मुद्दे पर दिए गए बयान पर टिप्पणी करने से परहेज किया है।

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