चुनावी सरगर्मी के बीच लवासा का जिन्न बढ़ा सकता है पवार परिवार की मुश्किलें?

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चुनावी सरगर्मी के बीच लवासा का जिन्न बढ़ा सकता है पवार परिवार की मुश्किलें?

बॉम्बे हाईकोर्ट में शरद पवार की याचिका, लवासा मामले में प्रतिवादी बनाने की रखी मांग। हाईकोर्ट पहले भी कर चूका मामले को ख़ारिज 

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – राकांपा शरदचंद्र पवार पार्टी प्रमुख शरद पवार ने लवासा हिल स्टेशन के निर्माण से जुड़ी अनियमितता की सीबीआई जांच की मांग से संबंधित जनहित याचिका के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में आवेदन दायर किया है। पुणे के लवासा प्रोजेक्ट की कथित गड़बड़ी से जुड़ी याचिका में शरद पवार के अलावा उनकी बेटी और सांसद सुप्रिया सुले एवं राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ भी जांच का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। एडवोकेट जोयल कार्लोस के जरिए दायर हस्तक्षेप आवेदन में शरद पवार ने मांग की है कि उन्हें इस जनहित याचिका में पक्षकार बनाया जाए, ताकि वे याचिका में उठाए गए मुद्दों को लेकर अपनी बातों को रख सकें, क्योंकि याचिका में उन पर अनेक आरोप लगाए गए हैं। आवेदन में पवार ने कहा है कि यदि उन्हें इस याचिका में पक्षकार बनाया जाता है,तो याचिकाकर्ता को इससे कोई परेशानी नहीं होगी। कोर्ट ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को दो सप्ताह में पवार के आवेदन पर जवाब देने का निर्देश दिया है। कोर्ट में चार सप्ताह बाद याचिका पर सुनवाई की जाएगी।

पेशे से वकील नाना साहब जाधव ने पिछले साल लवासा के मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी। याचिका में शरद पवार, सुप्रिया सुले और अजित पवार के अलावा गड़बडी के लिए सरकारी अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई को मामला दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। बुधवार को चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की बेंच के सामने यह याचिका सुनवाई के लिए आई। सुनवाई के दौरान शरद पवार का पक्ष रख रहे सीनियर ऐडवोकेट ऑस्पी चिनॉय ने कहा कि याचिकाकर्ता मौजूदा विषय पर कई बार एक जैसे आरोप लगा चुके है। लवासा देश का पहला निजी हिल स्टेशन है।

हाई कोर्ट ने 2022 में इसी मुद्दे को लेकर जाधव की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया था। याचिका में लवासा हिल प्रोजेक्ट के निर्माण को दी गई मंजूरी के मुद्दे को उठाया गया था। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ जाधव ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी, तब से अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस बीच जा‌धव ने फिर हाई कोर्ट में सीबीआई जांच की मांग को लेकर याचिका दायर की है। मौजूदा याचिका में जिन मुद्दों और शिकायतों को उठाया गया है। अतीत में हाई कोर्ट उन मुद्दों और शिकायतों का परीक्षण कर याचिका को समाप्त कर चुकी है, ऐसे में याचिकाकर्ता फिर से उन्हीं तथ्यों का इस्तेमाल दोबारा आपराधिक जनहित याचिका दायर करने के लिए नहीं कर सकता है।

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