भौतिक और आध्यात्मिक जगत में उन्नति के लिए संयम जरूरी

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भौतिक और आध्यात्मिक जगत में उन्नति के लिए संयम जरूरी

कल्याण में बोले सरसंघचालक मोहन भागवत

आकीब शेख

कल्याण – कल्याण जनता सहकारी बैंक के वर्धापन दिवस पर कल्याण आए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भौतिक और अध्यात्म के संसार में यदि सुख चाहिए तो संयम रखना ही होगा कमाने के साथ-साथ दान देने की मानसिकता भी बनानी होगी।

बैंक के वर्धापन दिवस पर उपस्थित समुदाय को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि संसार के सभी दुःख व शोषण खत्म होने तक आर्थिक जगत के कार्यकर्ताओं को कार्य करते रहना होगा। भागवत ने कहा कि संघ की स्थापना के पांच साल पहले 1920 में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ था। उस समय महात्मा गांधी अध्यक्ष थे और डॉक्टर हेडगेवार के जिम्मे सारी व्यवस्था थी। हेडगेवार विषय नियामक मंडल के सदस्य भी थे। हेडगेवार ने प्रस्ताव रखकर संपूर्ण गोवंश हत्या बंदी की मांग की थी, तथा भारत का संपूर्ण स्वातंत्र्य ही ध्येय हो। यह कांग्रेस घोषित करे। भारत ही सारे विश्व को आर्थिक जाल और पूंजीपतियों से मुक्ति दिलवाएगा। भागवत के अनुसार पैसा एक व्यवस्था है, यह आवश्यक है। फिर भी यह आवश्यकता कृत्रिम ही है। पैसे से पेट नहीं भरा जा सकता। हर इंसान को चावल व रोटी ही खानी पडती है। इस चावल और रोटी की व्यवस्था को अमली जामा पहनाने के लिए किसान जो मेहनत करता है उसमें मुद्रा का एक माध्यम के रूप में उपयोग होता है। इसके चलते किसान कर्जदार बन जाता है। जिसका नतीजा किसानो की आत्महत्या के रूप में सामने आता है। किसान जो खेती करता है उसका लाभ सभी को मिलता है। इस बात को समझना हमारा कर्तव्य है। श्रम करने वाले श्रमिकों का शोषण होता रहता है। जवकि वास्तविक में हमें एक परिवार के रूप में रहना होगा।

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