विदर्भ को मजबूत करने में जुटी कांग्रेस, फिर विदर्भ की झोली में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी

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विदर्भ को मजबूत करने में जुटी कांग्रेस, फिर विदर्भ की झोली में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी

प्रदेश अध्यक्ष और मुंबई अध्यक्ष के बाद नेता प्रतिपक्ष भी ओबीसी। पार्टी नें विजय वडेट्टीवार को बनाया नेता प्रतिपक्ष, भाजपा को चौतरफा घेरने की कवायद 

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा का मानसून सत्र खत्म होने में महज तीन दिन बचे हैं, इसी बीच आखिरकार कांग्रेस ने विधानसभा में विपक्ष के नेता की घोषणा कर दी है। कांग्रेस ने एक बार फिर विदर्भ के ओबीसी नेता विजय वडेट्टीवार के कंधों पर नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। खास बात यह है कि एक ओर जहां कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष विदर्भ से आते हैं, वहीं दूसरी ओर भी कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने विपक्षी दल के नेता का पद विदर्भ से ही देने का फैसला किया है। विपक्ष के नेता पद के लिए जहां पृथ्वीराज चव्हाण, यशोमती ठाकुर, संग्राम थोपटे, सुनील केदार के नामों की चर्चा चल रही थी, वहीं वडेट्टीवार को विपक्ष का नेता बनाकर कांग्रेस ने दोहरा खेल खेला है।

शिंदे-फडणवीस सरकार के दौरान विपक्ष के नेता का पद सबसे पहले राकांपा के अजित पवार के पास था। लेकिन राकांपा में फूट के कारण शरद पवार की राकांपा और उद्बाव ठाकरे की शिवसेना के विधायकों की संख्या कम रह गई है। वहीं कांग्रेस पार्टी के पास संख्या बल ज्यादा होने के चलते अब विपक्षी दल का नेतृत्व कांग्रेस पार्टी के पास आ गया है।

इस बीच पिछले एक हफ्ते से कांग्रेस नेता और पार्टी के दिग्गज इस बात पर मंथन कर रहे थे कि विपक्ष के नेता के तौर पर किसे मौका दिया जाए। पुणे के भोर से विधायक संग्राम थोपटे के नेतृत्व में महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली गया और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा की। इस बीच इस बैठक में कई नेताओं के नामों पर चर्चा हुई और आख़िरकार कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने वडेट्टीवार के नाम को हरी झंडी दे दी।

जब राधाकृष्ण विखे पाटिल ने विपक्ष के नेता के पद से इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए, तो कांग्रेस ने कुछ समय के लिए वडेट्टीवार को यह जिम्मेदारी सौंपी थी। वडेट्टीवार ने 2019 के आम चुनाव से कुछ महीने पहले विपक्ष के नेता के रूप में पदभार संभाला। छह महीने में, उन्होंने भाजपा पर हमला करके पार्टी के कुलीनों द्वारा दिए गए अवसर का लाभ उठाया। वडेट्टीवार को आक्रामकता, ओजस्वी भाषणों, विभिन्न विषयों के गहन ज्ञान और प्रश्नों का उत्तर देने के दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है।

विदर्भ को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है, वर्तमान में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी उसी विदर्भ से आते हैं और अब विरोधी पक्ष नेता पद भी अपने गढ़ से देकर कांग्रेस ने भाजपा पर हमला करने की रणनीति बनाई है।

विजय वडेट्टीवार ब्रह्मपुरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए हैं, वडेट्टीवार गढ़चिरौली जिले के निर्माण में बहुत सक्रिय थे। जब वह शिवसेना में थे तो विभिन्न मुद्दों पर विरोध प्रदर्शन करते रहते थे। तभी से विदर्भ में उनकी छवि एक आक्रामक नेता की है। वडेट्टीवार ने 1986 में गढ़चिरौली से राजनीति में प्रवेश किया। 2005 में वह शिव सेना से कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। वह 1998-2004 के बीच विधान परिषद के सदस्य रहे। उसके बाद, वह चिमूर और अब ब्रम्हपुरी निर्वाचन क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य हैं। इससे पहले वह जल संसाधन और ऊर्जा राज्य मंत्री और माविआ सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी काम कर चुके हैं।

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