उच्च न्यायलय का शिंदे सरकार को आदेश, 12 विधायकों की नियुक्ति को लेकर किया जवाब तलब
विधान परिषद में रिक्तियों के बावजूद तीन साल बाद भी कोई फैसला क्यों नहीं? उद्धव गुट के नेता द्वारा दायर याचिका पर 21 अगस्त को विस्तृत सुनवाई
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई : तत्कालीन राज्यपाल ने जानबूझकर महाराष्ट्र विधान परिषद में राज्यपाल द्वारा नामित 12 विधायकों की रिक्तियों पर नई नियुक्तियों के लिए तत्कालीन महाविकास अघाड़ी सरकार द्वारा अनुशंसित नामों की सूची पर निर्णय लेने से परहेज किया और इस प्रकार नई सरकार को सूची वापस लेने का मौका मिल गया। चूंकि यह संविधान के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन है, इसलिए मूल सूची को बहाल करने का आदेश दिया जाना चाहिए। उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय एवं न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने भी इसका संज्ञान लिया और राज्य सरकार को स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है।
यह याचिका शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे पार्टी के कोल्हापुर नेता सुनील मोदी ने दायर की है। विधान परिषद में इन 12 पदों के खाली होने के तीन साल बीत जाने के बावजूद भी नई नियुक्तियां अधर में लटकी हैं। तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मवीआ गठबंधन सरकार की सिफारिश पर कई महीनों तक कोई फैसला नहीं लिया। इसलिए रतन सोली लूथ द्वारा दायर एक याचिका पर, उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त, 2021 को निर्णय दिया और कोश्यारी के व्यवहार पर कड़ी अस्वीकृति व्यक्त की। फैसले में कोर्ट ने यह भी कठोर टिप्पणियाँ दर्ज कीं कि वैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा समय सीमा न होने के आधार पर कोई कार्रवाई न करना उस पद और उस पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है। हालाँकि जब कोश्यारी ने कोई निर्णय नहीं लिया, तो लूथ ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
इस बीच राज्य में तख्तापलट और एकनाथ शिंदे सरकार के गठन के बाद गठबंधन सरकार की सूची वापस ले ली गई। इसके बाद जब शिंदे सरकार नई सूची भेजने की ओर बढ़ रही थी तो सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में उन नियुक्तियों पर रोक लगाने का आदेश दे दिया था। इसी अपील में सुनील मोदी ने हस्तक्षेप के लिए आवेदन दिया था और पिछली सरकार की सूची को बहाल करने का आदेश देने का अनुरोध किया था। हालांकि 11 जुलाई को रतन ने अपनी याचिका वापस ले ली। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने सुनील मोदी को हाई कोर्ट में अलग से याचिका दायर करने की इजाजत दी थी, इसी के तहत सुनील मोदी ने यह याचिका दायर की है।
मौजूदा सरकार तत्काल कदम उठाकर नई सूची राज्यपाल को भेज सकती है और उसके अनुसार नियुक्तियां भी की जा सकती हैं। परिणामस्वरूप याचिका निरर्थक भी हो सकती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की तरह, इस अदालत को एक अंतरिम आदेश पारित करना चाहिए और फिलहाल उन गतिविधियों पर रोक लगानी चाहिएवरिष्ठ वकील अनिल अंतूरकर ने सुनील मोदी की ओर से अनुरोध करते हुए कहा। तब महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने बताया कि सरकार ने कई दिनों से नयी सूची नहीं भेजी है, इसके बाद पीठ ने सरकार को जवाब देने और याचिकाकर्ताओं को जवाब देने के लिए समय देते हुए 21 अगस्त को विस्तृत सुनवाई तय की है।