केंद्रीय मंत्री कपिल पाटील के लिए इस बार राह नहीं आसान ?
बदले राजनीतिक समीकरण और विरोधियों की चुनौती
क्या जीत की हैट्रिक लगा पाएंगे मंत्री जी ?
आकीब शेख
कल्याण – 2014 एवं 2019 के आम चुनाव में मोदी लहर में जीते कपिल पाटील के लिए जीत की हैट्रिक लगाना कठिन माना जा रहा है। बीजेपी ने भिवंडी लोकसभा सीट से कपिल पाटील को तीसरी बार मौका दिया है। वहीं महाविकास आघाड़ी की तरफ से राष्ट्रवादी शरद पवार गुट के सुरेश उर्फ बाल्या मामा म्हात्रे के नाम की ज़ोरदार चर्चा है। तो वहीं कांग्रेस ने भी इस सीट पर दावा ठोका है। राजनीतिक दलों के अलावा जिजाऊ संस्था के अध्यक्ष नीलेश सांबरे भी अपने सामाजिक कार्यों के बल पर लोकसभा चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं। भले ही बीजेपी ने कपिल पाटील को केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान देकर उनका रुतबा बढ़ाया हो, लेकिन महाराष्ट्र में बदले हुए राजनीतिक समीकरण तथा विरोधियों की चुनौती कपिल पाटील की जीत में रोड़ा बने हुए है।
केंद्रीय मंत्री के प्रति जनता में नाराज़गी ?
भाजपा ने भिवंडी लोकसभा से प्रत्याशी के रूप में केंद्रीय मंत्री कपिल पाटील के माम की घोषणा कर दी है। पिछले दस साल से वह भिवंडी के सांसद है, लेकिन भिवंडी में बदहाल सड़क, ट्रैफिक की समस्या, गांधारी ब्रिज, रेल मार्ग परियोजना के अधूरे विकास के अलावा अन्य जरूरी विकासकार्यों को लेकर सांसद कपिल पाटील के प्रति जनता में काफी हद तक नाराज़गी की चर्चा भी जोरों पर है।
संसद में सवाल पूछने में भी पीछे-
संसदीय कामकाज में ठाणे ज़िले की तीन लोकसभा क्षेत्रों में भिवंडी लोकसभा का आंकड़ा सबसे कम रहा। यहां के सांसद एवं केंद्रीय पंचायत राज राज्यमंत्री कपिल पाटील ने जनता के हित में पांच साल के भीतर महज़ 118 सवाल ही पूछे हैं। वहीं कल्याण के सांसद डॉ.श्रीकांत शिंदे ने संसद में 574 सवाल पूछे हैं। इस फेहरिस्त में ठाणे के सांसद राजन विचारे दूसरे क्रमांक पर रहे, और उन्होंने 281 सवाल उठाए। ज़िले की तीनों लोकसभा सीटों की तुलना में भिवंडी के सांसद कपिल पाटील जनता की आवाज़ संसद में उठाने में सबसे पीछे रहे है। उसी तरह पांच वर्षों में संसद के भीतर कल्याण के सांसद श्रीकांत शिंदे ने 116 डिबेट में हिस्सा लिया, जबकि कपिल पाटील ने महज 27 बहस में हिस्सा लिया। ठाणे के राजन विचारे 26 बहसों में हिस्सा लेकर तीसरे क्रमांक पर रहें। यदि निजी विधेयकों की बात की जाए तो भिवंडी के सांसद कपिल पाटील का स्कोर शून्य रहा। राजन विचारे का भी निजी विधयेक के मामले में भागीदारी शून्य रहा है। वहीं कल्याण के सांसद डॉ.श्रीकांत शिंदे निजी विधयेक में 12 सवाल उठाकर पहले क्रमांक पर है।