मैं मराठा आरक्षण के संबंध में राज्य सरकार के लिए गए फैसले से सहमत नहीं हूं। इससे राज्य में असंतोष पैदा होगा – नारायण राणे 

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मैं मराठा आरक्षण के संबंध में राज्य सरकार के लिए गए फैसले से सहमत नहीं हूं। इससे राज्य में असंतोष पैदा होगा – नारायण राणे 

मराठा आरक्षण को लेकर छगन भुजबल के बाद अब केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने राज्य सरकार से जताई नाराजगी 

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार मनोज जारंगे पाटिल के आंदोलन को शांत करने में सफल रही। मनोज जरांगे की मांगे मान ली गईं लेकिन यह स्पष्ट है कि राज्य में भाजपा गठबंधन के बीच मतभेद शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गजट हटाकर मनोज जारंगे पाटिल को बड़ी राहत दी है। हालांकि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने कहा है कि वह मराठा समुदाय के लिए आरक्षण से सहमत नहीं हैं। इससे पहले छगन भुजबल ने भी एकनाथ शिंदे के फैसले पर आपत्ति जताई। छगन भुजबल ने तो ओबीसी नेताओं की बैठक तक बुला डाली और एक सुर में कहा गया कि यह ओबीसी के लोगों के साथ अन्याय है। नारायण राणे ने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट डालकर अपनी नाराजगी जताई।

नारायण राणे ने कहा कि मैं मराठा आरक्षण के संबंध में राज्य सरकार के लिए गए फैसले से सहमत नहीं हूं। इससे राज्य में असंतोष पैदा होगा क्योंकि मराठा समुदाय, जिसकी एक ऐतिहासिक परंपरा है, का सफाया कर दिया जाएगा और अन्य पिछड़े समुदायों पर अतिक्रमण किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने रविवार को कहा कि वह महाराष्ट्र सरकार के उस फैसले से सहमत नहीं हैं, जिसमें कहा गया है कि जबतक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता है, तब तक उन्हें ओबीसी को मिल रहे सभी लाभ मिलेंगे। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने पोस्ट में कहा कि यह अन्य पिछड़ा वर्ग के अधिकारों में अतिक्रमण होगा तथा इससे महाराष्ट्र में अशांति फैल सकती है।

मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी मांगें मान लिये जाने के बाद शनिवार को अपना अनिश्चितकालीन उपवास खत्म कर दिया था। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने घोषणा की थी कि जबतक मराठों को आरक्षण नहीं मिल जाता, तब तक उन्हें ओबीसी को प्राप्त सभी लाभ मिलेंगे।

राणे ने कहा कि वह राज्य सरकार के फैसले को और आरक्षण के संबंध में मराठा समुदाय को उसके दिये गये आश्वासन को मंजूर नहीं करते हैं। महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री छगन भुजबल ने भी राज्य सरकार के इस फैसले पर असंतोष व्यक्त किया है तथा अन्य पिछड़ा वर्ग में पिछले दरवाजे से मराठों के प्रवेश पर सवाल उठाया है।

कृषक समुदाय ‘कुनबी’ ओबीसी के अंतर्गत आता है और जरांगे भी सभी मराठों के लिए कुनबी प्रमाणपत्र मांग रहे है। जरांगे मराठों के वास्ते आरक्षण की मांग को लेकर अगस्त से आंदोलन कर रहे थे। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी ओबीसी की चिंताएं दूर करने का प्रयास करते हुए कहा है कि मराठों को बिना सबूत कुनबी प्रमाणपत्र नहीं दिया जाएगा।

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