शरद पवार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। वे खुद अध्यक्ष पद छोड़ना चाहते थे, और उन्ही के कहने पर मैं सरकार में शामिल हुआ – अजित पवार 

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शरद पवार की कथनी और करनी में बड़ा अंतर है। वे खुद अध्यक्ष पद छोड़ना चाहते थे, और उन्ही के कहने पर मैं सरकार में शामिल हुआ – अजित पवार 

अजित पवार का बड़ा खुलासा, कहा शिंदे सरकार में शामिल होना शरद पवार की सोची समझी रणनीति। सुप्रिया सुले को सब पता था

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राकांपा नेता अजित पवार ने कहा कि शरद पवार खुद ही राकांपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहते थे, लेकिन वे हमसे कहते कुछ और थे, करते कुछ और थे।

अजित ने यह बात शुक्रवार को रायगढ़ के कर्जत में हुए राकांपा अधिवेशन में कही। उन्होंने कहा कि शरद पवार ने लगातार अपनी भूमिका बदली। इस घटनाक्रम की सारी जानकारी सुप्रिया सुले को थी। अजित पवार ने यह भी बताया कि शरद पवार ने ही उनसे सत्ता में भागीदारी के लिए कहा था।

शरद पवार ने 2 मई को राकांपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद अजित पवार पार्टी अध्यक्ष बने थे। हालांकि बाद में शरद ने अपना फैसला वापस ले लिया था और अजित पवार ने अपना अलग गुट बनाकर महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में शामिल होने का फैसला किया था। जुलाई 2023 में उन्हें राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

अजित पवार ने बताया कि प्रफुल्ल पटेल, अजित पवार, छगन भुजबल, सुनील तटकरे, जयंत पाटिल, अनिल देशमुख, रामराजे नाइक निंबालकर, दिलीप वलसे पाटिल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, हम में से 10-12 लोग देवगिरी में बैठे थे, हम सोच रहे थे कि आगे क्या करें। फिर हमने सुप्रिया को बुलाया, क्योंकि हमें लग रहा था कि अगर सीधा शरद पवार को बताया तो वह क्या सोचेंगे। इसलिए पहले सुप्रिया को सब कुछ बताया।

तब सुप्रिया ने 8-10 दिन का वक्त मांगा था और कहा कि ये उन पर छोड़ दीजिए कि करना क्या है, वे शरद पवार को मना लेंगी। अजित समेत बाकी नेताओं ने 8 दिन इंतजार किया। फिर साथ बैठकर फैसला किया कि हमें ही शरद पवार से बात करनी चाहिए, क्योंकि विधायकों के कामकाज पर रोक लगा दी गई थी।

अजित पवार ने आगे बताया कि इसके बाद वे सीधा शरद पवार के पास गए और उन्हें अपना फैसला सुना दिया। इसके बाद शरद पवार ने कहा था कि ठीक है,देखते हैं क्या करना है। फिर हम यशवंतराव चव्हाण इंस्टीट्यूट गए और समय बीत रहा था। हमने उनसे कहा कि जल्दी फैसला लीजिए वे फिर बोले, ठीक है।

बकौल अजित पवार 1 मई को ध्वज सलामी इवेंट के दौरान शरद पवार ने उन्हें फोन किया और सरकार में शामिल होने के लिए कहा। साथ ही यह भी कहा कि वे राकांपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं।

शरद पवार इस्तीफा देंगे यह बात किसी को नहीं पता थी, इस बारे में घर में सिर्फ चार लोग ही जानते थे। फिर शरद ने इस्तीफा दे दिया और 15 सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई। कमेटी ने बैठकर अध्यक्ष चुनने को कहा। 2 मई को बुक लॉन्चिंग इवेंट में जब शरद पवार ने इस्तीफा दिया तो हर कोई हैरान रह गया।

अजित पवार ने आगे बताया कि इसके बाद शरद पवार घर चले गए। फिर लोगों के रिएक्शन आने शुरू हो गए। इस्तीफा देने के बाद आनंद परांजपे और जीतेंद्र आव्हाड को बुलाया गया। उन्हें इस्तीफा वापस लेने के लिए यशवंतराव सेंटर के सामने प्रदर्शन करने कहा गया। मुझे पता नहीं क्यों? अगर आप इस्तीफा नहीं देना चाहते थे, तो न देते।

शरद पवार मुंबई के वाईबी चव्हाण सेंटर में 2 मई को अपनी पॉलिटिकल बायोग्राफी ‘लोक भूलभुलैया संगति’ का विमोचन कर रहे थे। इस किताब के पन्ना नंबर 319 पर उन्होंने लिखा- महाविकास अघाड़ी की सरकार सिर्फ सत्ता का खेल नहीं थी। अन्य पार्टियों को दबाकर, अन्य पार्टियों का महत्व किसी ना किसी तरह से खत्म करके राजनीतिक वर्चस्व निर्माण करने वाली भाजपा को यह करारा जवाब था।

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