जनवरी 2024 से राज्य की सभी महानगर पालिकाओं पर केवल प्रशासक राज
ओबीसी आरक्षण, सदस्य संख्या बढ़ोत्तरी और प्रभाग संरचना जैसे मुद्दे सुप्रीम कोर्ट में लंबित, जिसके चलते स्थानीय निकाय चुनाव में देरी की सम्भावनाओं के चलते सरकार का फैसला
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – ओबीसी आरक्षण, सदस्य संख्या बढ़ोत्तरी और प्रभाग रचना जैसे मुद्दे सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, जिसके चलते स्थानीय निकाय संस्थाओं के चुनावों को लेकर असमंजस की स्थिति निर्माण हो गई है। इसके परिणाम स्वरुप 1 जनवरी 2024 से राज्य में एक भी महानगर पालिका में सरकारी नियुक्तियां नहीं होंगी और सभी महानगर पालिकाओं को प्रशासक द्वारा संचालित किया जायेगा।
राज्य में कुल 26 जिला परिषदों, 289 पंचायत समितियों और 257 महानगर पालिकाओं और नगर पंचायतों के चुनाव भी रुके हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में स्थानीय निकायों में ओबीसी के राजनीतिक आरक्षण को रद्द कर दिया है। कोर्ट के आदेश के अनुसार ही ओबीसी आरक्षण बहाल करने के लिए ओबीसी की वैज्ञानिक सांख्यिकीय जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना की गई थी। इसलिए स्थानीय निकायों के चुनाव स्थगित कर दिए गए हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश की 92 महानगर पालिकाओं और 4 नगर पंचायतों के चुनाव की घोषणा कर दी गई थी। इसी दौरान बांठिया आयोग की पिछड़ा वर्ग रिपोर्ट प्राप्त हुई तो यह सवाल उठा कि क्या बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव होने चाहिए या नहीं, जिससे ये चुनाव स्थगित कर दिये गये और अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
महानगर पालिका और जिला परिषद में सदस्यों की संख्या बढ़ाने का जो फैसला ठाकरे सरकार ने लिया था, उसे बाद में शिंदे सरकार ने बदल दिया। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट में है। वार्ड बनाने का अधिकार राज्य सरकार का है या चुनाव आयोग का, इसका विवाद भी सुप्रीम कोर्ट में जा चुका है, इसलिए चुनाव रुके हुए हैं। राज्य के बड़े महानगर पालिकाओं में मुंबई, पुणे, ठाणे, पिंपरी-चिंचवड़, औरंगाबाद, नागपुर का कार्यकाल पिछले साल मार्च-अप्रैल में समाप्त हो चुका है।
राज्य में वर्तमान में 29 महानगर पालिका हैं, जिनमें दो नव निर्मित महानगर पालिका इचलकरंजी और जालना शामिल हैं। 25 महानगर पालिकाओं का कार्यकाल पहले ही समाप्त हो चुका है, जबकि दोनों नई महानगर पालिकाओं के लिए चुनाव नहीं हुए हैं। इन महानगर पालिकाओं का प्रबंधन प्रशासकों के हाथ में है। अब शेष दोनों महानगर पालिका अहमदनगर और धुले का कार्यकाल अगले महीने दिसंबर के अंत तक समाप्त हो जाएगा। तदनुसार 1 जनवरी 2024 को राज्य की किसी भी महानगर पालिका में जनता द्वारा नियुक्ति नहीं की जाएगी, सभी महानगर पालिकाएँ प्रशासकों द्वारा शासित होंगी।