महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ़ रेजिडेंट डॉक्टर्स (मार्ड) की राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी
डीन से टॉयलेट साफ करवाने के मामले ने पकड़ा तूल। शिंदे गुट के सांसद माफ़ी मांगे, अन्यथा राज्यव्यापी हड़ताल करेंगे डॉक्टर्स
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – नांदेड़ स्थित सरकारी मेडिकल कॉलेज में पिछले 36 घंटे में हुईं 31 लोगों की मौत के विरोध में शिंदे गुट के सांसद हेमंत पाटिल द्वारा अस्पताल अधिकारियों के साथ दुर्व्यवहार किया और मीडिया के सामने उन्हें टॉयलेट साफ करने के लिए मजबूर किया। रेजिडेंट डॉक्टरों के संगठन मार्ड ने घटना की कड़ी निंदा की और चेतावनी दी है कि सांसद पाटिल माफी मांगे अन्यथा सरकार क़ो डॉक्टरों के राज्यव्यापी आंदोलन का सामना करना पड़ेगा। मार्ड ने यह भी चेतावनी दी है कि गिरती स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए सरकार पूरी तरह जिम्मेदार होगी।
नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज में 31 मरीजों की मौत के मामले में सेंट्रल मार्ड ने अस्पताल के कई विभागों के रेजिडेंट डॉक्टरों से विस्तृत चर्चा की और मामले की जानकारी ली। जिसमें यह बताया गया कि इस घटना में कई कारणों का योगदान था, जिसमें चिकित्सा शिक्षकों की कमी, कक्षा 3 और कक्षा 4 के कर्मचारियों, चिकित्सा परिचारकों, कुल जनशक्ति, जीवन रक्षक दवाओं और संसाधनों की कमी की ओर इशारा किया गया। इसके बावजूद रेजिडेंट डॉक्टर और चिकित्सा शिक्षक मरीजों की सेवा में अपना सब कुछ झोंक रहे हैं।
दवाओं और जरूरी संसाधनों की कमी सिर्फ नांदेड़ अस्पताल तक ही सिमित नहीं बल्कि राज्य के अन्य अस्पतालों में भी कमोबेश यही हाल है। इस बारे में बिना सोचे-समझे सांसद हेमंत पाटिल ने नांदेड़ अस्पताल के अधिकारियों के साथ गाली-गलौज कर उन्हें अपमानित किया और उन्हें जानबूझकर मीडिया के सामने कॉलेज परिसर में शौचालय साफ करने के लिए भी मजबूर किया। सेंट्रल मार्ड ने घटना के मूल कारण का पता लगाने के लिए उचित जांच की प्रतीक्षा किए बिना वरिष्ठों के साथ किए गए अपमानजनक व्यवहार की कड़ी निंदा की है। साथ ही सेंट्रल मार्ड ने चेतावनी दी है कि हेमंत पाटिल को अपने दुर्व्यवहार और अपमानजनक व्यवहार के लिए बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए, अन्यथा पूरे महाराष्ट्र के डॉक्टर विरोध प्रदर्शन करेंगे। मार्ड ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर इस आंदोलन के कारण पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई तो इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार की होगी।
मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद प्रशासन की विफलता के लिए डॉक्टरों और चिकित्सा शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। साथ ही मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं चिकित्सा अधीक्षक इस बात से निराश हैं कि उनके साथ दुर्व्यवहार कर उन्हें अपमानित किया जा रहा है। साथ ही घटना के बाद सभी डॉक्टर हताश हो गये हैं। प्रशासन की विफलता के लिए डॉक्टरों को बलि का बकरा बनाने के बजाय, राज्य सरकार को राज्य भर के सभी मेडिकल कॉलेजों में जीवन रक्षक दवाओं, संसाधनों और जनशक्ति की कमी को दूर करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, मार्ड ने सरकार क़ो दिए अपने अनुरोध में कहा है।