सुप्रीम कोर्ट की फटकार के तीन दिन बाद विधानसभा अध्यक्ष ने तोड़ी चुप्पी 

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सुप्रीम कोर्ट की फटकार के तीन दिन बाद विधानसभा अध्यक्ष ने तोड़ी चुप्पी 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बोले विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने में देर नहीं होगी। लेकिन जल्दबाजी भी हुईं तो यह मिसकैरेज ऑफ जस्टिस होगा

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – राज्य के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि मैं शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने में देर नहीं करूंगा, लेकिन इस मामले में जल्दबाजी भी नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि जल्दबाजी करना मिसकैरेज ऑफ जस्टिस हो सकता है। मैं जो भी फैसला लूंगा, संवैधानिक होगा।

विधानसभा स्पीकर ने मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के 3 दिन बाद पत्रकारों से बात करते हुए उक्त बातें कहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 18 सितंबर को शिवसेना शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से कहा कि आप इस मामले पर फैसला लंबे समय तक टाल नहीं सकते। आपको इसकी समय सीमा तय करनी होगी। CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने दोनों मामले पर सुनवाई की।

एकनाथ शिंदे गुट के 16 बागी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को फैसला सुनाया था। इसमें कोर्ट ने बागी विधायकों की सदस्यता पर फैसला स्पीकर पर छोड़ दिया था। वहीं उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले पर फिर से विचार करने की अपील की थी। उन्होंने याचिका में तर्क दिया था कि विधानसभा अध्यक्ष मामले को जानबूझकर टाल रहे हैं।

शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी से बगावत की थी। इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद शिंदे ने शिवसेना पर अपना दावा कर दिया। 16 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना मान लिया। साथ ही शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह धनुष – बाण को इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी। उद्धव ठाकरे गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

महाराष्ट्र में शिवसेना शिंदे गुट और उद्धव गुट की ओर से एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य घोषित करने की याचिकाओं पर 14 सितंबर को सुनवाई हुई थी। यह सुनवाई विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने विधानसभा के सेंट्रल हॉल में की। मामले की सुनवाई 14 सितंबर को सुबह 10:30 बजे से दोपहर 2 बजे तक हुई। इसके बाद शिंदे गुट के वकील अनिल साखरे ने मीडिया को बताया कि कहा उद्धव गुट की ओर से दस्तावेज नहीं मिले हैं।

इसके जवाब में ठाकरे गुट के विधायक रवींद्र वायकर ने कहा कि यह शिंदे गुट की रणनीति का हिस्सा है। यह विधानसभा अध्यक्ष का काम है कि वो दोनों गुटों को मामले से जुड़े दस्तावेज मुहैया कराएं। हम चाहते हैं कि इस मामले में 34 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, सबको जोड़कर एक साथ सुना जाए।

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