स्टांप बनाने वाला गिरोह भंडाफोड़ : 55 इमारतों से जुड़ा घोटाला का हुआ पर्दाफाश, पांच गिरफ्तार
अजहर शेख : संवाददाता
वसई : अनाधिकृत 55 इमारतों में ग्राहकों को फ्लैट बेचकर शासन से करोड़ों रूपये गबन कर शासन एवं ग्राहकों को चूना लगाने वाले आरोपियों को विरार पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। यह बड़ी कार्रवाई पुलिस कमिश्नर मधुकर पाण्डेय, अतिरिक्त कमिश्नर श्रीकांत पाठक, परिमंडल 3 डीसीपी सुहास बावचे व एसीपी रामचंद्र देशमुख के मार्गदर्शन में विरार पुलिस स्टेशन के सीनियर पुलिस निरीक्षक राजेंद्र कांबले के नेतृत्व में पो.उप निरी.तात्या सावजी, स.फो.सुरेंद्र शिवदे की टीम ने की है। पुलिस ने बताया कि,कलेक्टर ठाणे, पालघर व उप संचालक नगररचना, विविसीएमसी फर्जी हस्ताक्षर, फर्जी स्टांप, फर्जी निर्माण अनुमति, फर्जी गैर-कृषि अनुमति, फर्जी अधिभोग प्रमाण पत्र, फर्जी सर्च रिपोर्ट का उपयोग कर उसके आधार पर रेरा प्राधिकरण को गुमराह किया और सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लिए बिना रेरा का पंजीकरण, ग्राहक को 40 से ऊपर पंजीकृत फर्जी बिल्डिंग परमिट के आधार पर सह दुय्यम निबंधक वर्ग-2, वसई -5 के साथ अनधिकृत भवन “रुद्रांश ए” और “रुद्रांश बी” आवासीय जी + 5 का निर्माण।साथ ही निष्काशन की कार्रवाई कर फ्लैटों को सील करने के बाद भी नगर पालिका ने सील तोड़कर फ्लैट लेने वाले नागरिकों के साथ नगर पालिका और नागरिकों के साथ धोखाधड़ी की।शिकायतकर्ता (विविसीएमसी) प्र. सहायक आयुक्त गणेश पाटिल की शिकायत पर विरार पुलिस स्टेशन में कलम 420, 465, 467, 468, 471, 472, 474, 475 120 (बी), 34, एमआरटीपी अधिनियम की धारा 52,53,54 के साथ-साथ महाराष्ट्र फ्लैट स्वामित्व अधिनियम 1963 की धारा 3,4,13 के साथ-साथ पंजीकरण अधिनियम 1908 की धारा 82 के अनुसार रुद्रांश रियल्टर्स के डेवलपर/भूमि मालिक और भागीदार के खिलाफ दिनांक 9 फरवरी 2023 केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने बताया कि उक्त अपराध की जांच में आरोपी (1). दिलीप कैलास बेनवंशी (31) मे. रूद्रांश रियल्टर्स तर्फे विकासक/जमिन मालक (2). मच्छिंद्र मारुती व्हनमाने (37) मे.मयुर इंटरप्रायजेसचा मालक (3).दिलीप अनंत अडखले (40), फिनीक्स कार्पोरेशनचे मालक.(4). प्रशांत मधुकर पाटील (33), मे. रूद्रांश रियल्टर्स चे भागीदार व (5).राजेश रामचंद्र नाईक (54) व्यवसाय रबर स्टैम्प बनाना को गिरफ्तार किया गया है। आरोपी मच्छींद्र व्हनमाने मयुर इंटरप्रायजेस, रियल इस्टेट एजन्सी, विरार (प) ऑफिस में अनाधिकृत निर्माण सर्वे नं. 137, हिस्सा नं.2 ओ, कोपरी इस जमीन की 7/12 प्रतियां, कलेक्टर पालघर के नाम पर गैर-खेती की अनुमति, विविसीएमसी नगररचना विभाग के नाम पर फर्जी निर्माण अनुमति, आर्किटेक्ट मेस्त्री एसोसिएट्स के नाम पर ब्लूप्रिंट, प्रसाद बंगला, जीवदानी रोड, विरार पूर्व और अन्य फर्जी अनुमति दस्तावेज, फर्जी दस्तावेज बनाने में प्रयुक्त कंप्यूटर, लैपटॉप, स्कैनर, साथ ही विभिन्न डेवलपर्स और आर्किटेक्ट के 22 रबर स्टांप, लेटरहेड आदि जब्त कर लिए गए हैं। पुलिस के मुताबिक, आरोपी दिलीप अनंत अडखले के पास से जिला कलेक्टर ठाणे, डिप्टी कलेक्टर, उप संचालक विविसीएमसी, ग्राम सेवक, सरपंच, ग्राम विकास अधिकारी, उप रजिस्ट्रार वसई और भिवंडी, एमएमआरडीए विभिन्न आर्किटेक्ट और डेवलपर्स और डॉक्टरों, वकीलों को 93 टिकट मिले हैं। साथ ही फर्जी सीसी बनाने के लिए जरूरी वसई विरार नगर निगम के 600 लेटरपैड, सिडको के 500 लेटरहेड भी मिले हैं. साथ ही, कुल 55 फाइलें बरामद की गई हैं और उन फाइलों में विभिन्न डेवलपर्स को जारी किए गए फर्जी बिल्डिंग परमिट, ओसी, नक्शे, ब्लूप्रिंट शामिल हैं।आरोपी प्रशांत मधुकर पाटिल के पास से रुद्रांश ए बिल्डिंग और रुद्रांश बी अनाधिकृत बिल्डिंग के असली फर्जी सीसी, असली फर्जी ओसी, फर्जी आर्किटेक्ट प्लान आदि दस्तावेज जब्त किये गये. आरोपी राजेश रामचन्द्र नाइक के पास से स्टाम्प बनाने के लिए क्षैतिज बक्से के आकार की लोहे की रबर स्टाम्प बनाने की मशीन का उपयोग किया जाता है, जिसके सामने की तरफ दो लोहे के हैंडल, लाल रंग के तीन बिजली आपूर्ति स्विच, किनारों पर एक काले वर्ग में छोटी लाल स्केन, एक लाल बटन होता है।जिसे अंग्रेजी में डिजिटल टाइमर और क्रिएटिव के नाम से भी जाना जाता है, साइड व्यू ग्लास के साथ नकली टिकट बनाने वाली मशीन और फिलिप्स कंपनी की एक छोटे आकार की 8 ट्यूबलाइट जब्त की गई। गिरफ्तार आरोपियों ने आपस में मिलीभगत कर वसई विरार मनपा और उससे पहले मौजूद सिडको कार्यालय के सीसी, ओसी, कलेक्टर ठाणे से एनए लाइसेंस, उप रजिस्ट्रार कार्यालय वसई में जमा किया गया, गावठण के रूप में तहसीलदार के कार्यालय से भूमि स्वामी की अनुपस्थिति के प्रमाण पत्र की खोज रिपोर्ट, इसके अलावा, उन्होंने अन्य फर्जी दस्तावेजों के साथ निर्माण की मंजूरी के लिए आवश्यक विभिन्न सरकारी कार्यालयों की 115 नकली मोहरें बनाईं और उसके आधार पर उन्होंने रेरा प्राधिकरण को गुमराह किया और रेरा पंजीकृत किया और वसई विरार क्षेत्र में 55 अनधिकृत इमारतों का निर्माण किया। साथ ही जांच में यह निष्कर्ष निकला है कि आरोपियों ने अपने आर्थिक फायदे के लिए सरकारी राजस्व को करोड़ों रुपये का चूना लगाया है।