एनआईए की कार्यवाई के बाद फिर चर्चा में आया भिवंडी का पड़घा
राष्ट्रीय जाँच एजेंसी द्वारा आकिफ नाचन की गिरफ़्तारी से माहौल संवेदनशील। पुणे में गिरफ्तार आतंकियों से कनेक्शन के चलते हुईं गिरफ़्तारी
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
भिवंडी – देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से कुछ किलोमीटर की दूर पर स्थित भिवंडी का पडघा काफी समय से बेहद संवेदनशील होने के कारण चर्चा में है। आकिफ नाचन को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को गिरफ्तार किया था। इसके बाद एक बार फिर से पडघा में जांच एजेंसियों की कार्रवाई की चर्चा शुरू हो गई है। इससे पहले साकिब नाचन को मुंबई सीरियल बम ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद से ही पडघा जांच एजेंसियों के रडार पर रहा है।
एनआईए, आतंकवाद निरोधी दस्ता समेत विभिन्न जांच एजेंसियां मामले पर नजर बनाए हुए हैं। पुलिस भी इस इलाके में अपनी नजर गड़ाए बैठी है। साकिब नचान की गिरफ्तारी के बाद पडघा सबसे ज्यादा चर्चा में रहा। सिमी संगठन से जुड़े और मुंबई में 2002 और 2003 के सिलसिलेवार बम धमाकों में शामिल साकिब नाचन को उसके पडघा स्थित बोरीवली गांव से गिरफ्तार किया गया था। उसकी गिरफ्तारी के दौरान कुछ ग्रामीणों ने पुलिस कार्यवाई में रूकावट डालने के अलावा पुलिस के साथ मारपीट भी की थी। इसलिए इस गांव में प्रवेश के समय पुलिस अधिक सावधानी बरतती है।
साकिब को 2017 में बरी किया गया था, और रिहाई के बाद गांव लौटे साकिब का जोरदार स्वागत हुआ था। अब एनआईए द्वारा आकिफ नाचन की गिरफ्तारी के बाद पडघा एक बार फिर चर्चा में आ गया है। आकिफ की गिरफ्तारी के बाद इस बात की चर्चा होने लगी कि आख़िरकार आकिफ है कौन? एनआईए इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या साकिब और आकिफ के बीच कोई कनेक्शन है? कुछ दिन पहले एनआईए ने शरजील शेख और जुल्फिकार बडोदावाला को पडघा इलाके से ही गिरफ्तार किया था। इस मामले में आकिफ को हिरासत में लिये जाने की चर्चा है। आकिफ भी पडघा के बोरीवली गांव में रहता है, जहाँ उसका एक बड़ा बंगला है और उसका बड़ा भाई एक बिल्डर के तौर पर काफ़ी मशहूर है।
पडघा का बोरीवली गांव करीब सात से आठ हजार लोगों की आबादी वाला गांव है, इस गांव में ज्यादातर कोंकणी मुसलमान रहते हैं। आदिवासियों का अनुपात भी लगभग 30 प्रतिशत है और यहां के ग्रामीण व्यवसायी हैं। कई लोगों की लकड़ी की बड़ी – बड़ी बखार हैं और इसी व्यवसाय के चलते कई ग्रामीणों की समृद्धि हुईं है। यहां लकड़ी की अधिक मांग के कारण अधिकांश ग्रामीणों के पास करोड़ों रुपये कीमत के दो से तीन मंजिला बंगले हैं। इसके अलावा कईयों के पास जमीनें भी हैं।