मोदी सरनेम मामले में राहुल गाँधी की बड़ी जीत। संसद सदस्यता तत्काल बहाल, सरकारी आवास भी मिलेगा
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से कांग्रेस में उत्साह। सुप्रीम कोर्ट नें निचली अदालतों के फैसले पर जताई आपत्ति
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
दिल्ली – राहुल गांधी की संसद सदस्यता जाने के 133 दिन बाद आख़िरकार सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के उस फैसले पर ही रोक लगा दी, जिसकी वजह से उनकी सांसदी गई थी। मोदी सरनेम से जुड़े मानहानि केस में राहुल गाँधी को निचली अदालतों ने 2 साल की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं होती, तब तक दोषसिद्धि पर रोक रहेगी। सुनवाई की नई तारीख अभी नहीं तय की गई है।
इसके साथ ही कोर्ट ने निचली अदालतों के फैसले पर तीन सबसे जरूरी बातें कहीं हैं पहला कि हम यह जानना चाहते हैं कि ट्रायल कोर्ट ने अधिकतम सजा क्यों दी? जज को फैसले में ये बात बतानी चाहिए थी। अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो राहुल गांधी को डिसक्वालिफाई नहीं किया जाता।
दूसरा अधिकतम सजा के चलते एक लोकसभा सीट बिना सांसद के रह जाएगी। यह सिर्फ एक व्यक्ति के अधिकार का ही मामला नहीं है, ये उस सीट के वोटर्स के अधिकार से भी जुड़ा मसला है। और तीसरी और अहम बात कि इस बात में कोई शक नहीं कि भाषण में जो भी कहा गया, वह अच्छा नहीं था। नेताओं को जनता के बीच बोलते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। यह राहुल गांधी का कर्तव्य बनता है आगे इसका अभी राजनैतिक व्यक्तियों को ध्यान रखना चाहिए।
राहुल ने 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई 21 जुलाई को हुई। कोर्ट ने शिकायतकर्ता और राहुल गाँधी से जवाब दाखिल करने को कहा था। इसके बाद 2 अगस्त को फिर बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। इसके बाद 4 अगस्त तक फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
21 जुलाई को पहली सुनवाई में जस्टिस गवई ने कहा कि उनके पिता कांग्रेस से जुड़े हुए थे और भाई भी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। ऐसे में उनके सुनवाई करने से किसी पक्ष को कोई आपत्ति तो नहीं है। इस पर दोनों पक्षों ने कहा कि उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है।