टाटा कैंसर अस्पताल में चल रहे काले धंधे का भंडाफोड़, 11 कर्मचारी गिरफ्तार 

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टाटा कैंसर अस्पताल में चल रहे काले धंधे का भंडाफोड़, 11 कर्मचारी गिरफ्तार 

सस्ती दरों में अस्पताल में टेस्ट सुविधा के बावजूद, कमिशन के चक्कर में प्राइवेट लैब में जांच। गिरफ्तार कर्मचारियों के बयान के आधार पर कुछ डॉक्टरों से भी पूछताछ संभव

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – देश भर से टाटा कैंसर हॉस्पिटल में ईलाज के लिए आने वाले गरीब मरीजों को मेडिकल टेस्ट करवाने के नाम पर प्राइवेट लैब में भेजकर आर्थिक उगाही करने के मामले में पुलिस ने टाटा हॉस्पिटल के दस कर्मचारियों समेत 23 आरोपियों में से 11 को गिरफ्तार कर लिया है। सामने आया है कि ये कर्मचारी प्राइवेट लैब से कमिशन पाने के लिए तीन-चार साल से गरीब मरीजों को लूट रहे थे। अन्य फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीमें गठित की गई हैं। दिलचस्प बात यह है कि इस रैकेट में कई डॉक्टरों के शामिल होने की भी जानकारी सामने आ रही है।

टाटा अस्पताल प्रशासन के संज्ञान में आया है कि परेल स्थित टाटा कैंसर अस्पताल में 2 डी इको, एक्स रे, सिटी स्कैन, एमआरआई, पेट स्कैन जैसे टेस्ट नाममात्र की दरों पर उपलब्ध होने के बावजूद मरीजों को निजी लैब में भेजकर उनके साथ धोखाधड़ी की जा रही है। अस्पताल प्रशासन ने सुरक्षा अधिकारियों के माध्यम से निगरानी रखी और लैब और कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहे काले धंधे का खुलासा हुआ। अस्पताल केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है और प्रशासन की शिकायत के बाद पुलिस ने टाटा अस्पताल के 21 कर्मचारियों के साथ-साथ इन्फिनिटी लैब के प्रबंधक और मालिक के खिलाफ मामला दर्ज किया। इसके तुरंत बाद 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और ये सभी फिलहाल पुलिस हिरासत में हैं। गिरफ्तार आरोपियों की पूछताछ में चौंकाने वाली जानकारी सामने आ रही है। इस तरह का मामला तीन-चार साल से चल रहा है और डॉक्टर भी संदेह के भंवर में फंसे हुए हैं। जब अस्पताल में सुविधा उपलब्ध थी तो डॉक्टर ने निजी लैब से लाई गई मेडिकल जांच रिपोर्ट के बारे में कैसे नहीं पूछा? पुलिस इस सवाल को आधार बनाकर कुछ डॉक्टरों से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। इसी तरह टाटा हॉस्पिटल के आसपास के लैब संचालकों की भी जांच की जाएगी। पुलिस ने बताया कि इनफिनिटी लैब में टाटा से जांच के लिए आए मरीजों का रिकॉर्ड लिया जा रहा है और उनसे संपर्क करने की भी कोशिश की जा रही है और कुछ नई जानकारी सामने आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

अगर किसी मरीज को मेडिकल टेस्ट के लिए लैब में भेजा जाता है और उसका बिल 5,000 रुपये तक आता है, तो कर्मचारियों को 10% कमीशन दिया जाता है। पांच हजार से अधिक बिल होने पर 20 प्रतिशत कमीशन देना तय हुआ। इसके बाद के चरण के अनुसार पांच हजार रुपये का कमीशन मरीजों को भेजने से पहले फोन पर तय किया जाता है।

टाटा अस्पताल के केस पेपर पर डॉक्टर द्वारा मेडिकल जांच की बात लिखने के बाद कर्मचारी केस पेपर को अपने कब्जे में ले लेता था। ये परीक्षण एक सादे कागज पर लिखकर मरीजों को इन्फिनिटी लैब में भेज कर टेस्ट करवाया जाता था। किसी मरीज को भेजते समय, कर्मचारी लैब स्टाफ को फोन करके बताते थे कि उन्होंने उसे भेजा है। तदनुसार संबंधित मरीज का नाम भेजने वाले कर्मचारी के नाम टेस्ट पर दर्ज किया जाता था।

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