बुलढाणा बस हादसे पर एक्सपर्टस की राय, यह सरकार और प्रशासन की अनदेखी का नतीजा 

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बुलढाणा बस हादसे पर एक्सपर्टस की राय, यह सरकार और प्रशासन की अनदेखी का नतीजा 

समृद्धि हाईवे पर वेग मर्यादा भी हादसों का मुख्य कारण। स्लीपर बसों पर बैन लगाने की लगातार की जा रही है मांग, लेकिन प्रशासन चुप्पी साधे बैठा है 

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – राज्य के बुलढाणा में हुए भीषण बस हादसे में अब तक 26 लोगों के जलकर मरने की पुष्टि की गई है। इस बस में कुल 33 यात्री सवार थे और यह स्लीपर बस पुणे की ओर जा रही थी। बस डिज़ाइन करने वालों ने स्लीपर बसों को चलता – फिरता ताबूत कहा है, और उनका कहना है कि इस तरह की स्लीपर बसों को बैन कर देना चाहिए। एमएसआरटीसी की नई बसों को डिज़ाइन करने वाले रवि मेहेंडाले ने कहा है कि इन स्लीपर बसों में यात्रियों को लेटने कि सुविधा तो दी जाती है, लेकिन आने – जाने के लिए बिल्कुल भी जगह नहीं होती है।

रवि मेहेंडाले ने आगे कहा कि ये बसें आम तौर पर 8 से 9 फिट ऊँची होती हैं, यदि वे अचानक एक तरफ झुकती हैं तो यात्रियों का इमरजेंसी गेट तक पहुंचना नामुमकिन हो जाता है। वहीं हादसों के समय बाहर से भी मदद करने वालों के लिए 8 से 9 फिट की ऊँचाई पर चढ़कर लोगों की मदद करना मुश्किल हो जाता है। रवि मेहेंडाले ने कहा कि हमने मंत्रालय को कई बार पत्र लिखकर स्लीपर बसों के प्रोडक्शन पर रोक लगाए जाने की मांग की, लेकिन मंत्रालय की ओर से आज तक कोई जवाब नहीं आया है।

रवि मेहेंडाले ने यह भी कहा कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान को छोड़कर किसी अन्य देश में स्लीपर बसें नहीं चलायी जाती हैं |पुणे और पिम्परी – चिंचवड़ की यातायात पुलिस प्राइवेट बसों की फिटनेस चेकिंग अभियान की शुरुआत करने जा रही है। इसके अलावा जानकारों का मानना है कि समृद्धि हाईवे पर स्पीड कण्ट्रोल करना भी आवश्यक है।

सेव पुणे ट्रैफ़िक मुवमेंट के हर्षद अभ्यंकर ने कहा कि समृद्धि हाईवे पर वेग मर्यादा 120 किलोमीटर प्रति घंटे निर्धारित की गई है, जो कि बहुत ज्यादा है। सरकार और ट्रैफ़िक कंट्रोल को पहलें यह पता करना चाहिए कि क्या यहां 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से सुरक्षित चला जा सकता है? यदि सरकार वेग मर्यादा की सीमा घटाए तो बड़े हादसों को टालने में जरूर मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि हाईवे सीधा होने और लंबी दुरी का सफर तय करने के दौरान ड्राइवर को नींद आने लगती है, जो कि हादसों का मुख्य कारण बन जाता है।

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