शिंदे – फडणवीस सरकार को सुप्रीम कोर्ट से एक और उपलब्धि
लम्बे समय से लंबित विधान परिषद के 12 विधायकों की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त। राज्यपाल द्वारा नियुक्त विधायकों में तीनों दलों के नेताओं को मौका
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई : महाविकास अघाड़ी सरकार के समय से चर्चा का विषय रहे 12 विधायकों की विधान परिषद में नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा नियुक्त विधायकों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी है। जिससे अब शिंदे-फडणवीस सरकार 12 विधायकों को विधान परिषद में नियुक्त कर सकेगी। हालांकि इसके लिए सरकार को तेजी से कदम बढ़ाना होगा। 12 विधायकों की अनुशंसा का पत्र राज्यपाल को भेजकर उनकी मंजूरी लेनी होगी, क्योंकि विधायकों की नियुक्ति के विरोध में नई याचिका दाखिल होने पर 12 विधायकों की नियुक्ति फिर टल सकती है।
राज्य में महाविकास अघाड़ी सरकार बनने के बाद से राज्यपाल द्वारा नियुक्त 12 विधायकों की नियुक्ति का मामला लंबित है। इन 12 विधायकों की विधान परिषद में नियुक्ति जून 2020 से रुकी हुई थी, सितंबर 2022 में कोर्ट ने विधायकों की नियुक्ति पर रोक लगा दी। माविआ सरकार के दौरान राज्य कैबिनेट की मंजूरी के बाद 12 सदस्यों की सूची तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को भेजी गई थी। हालांकि भगत सिंह कोश्यारी ने इस सूची को मंजूरी नहीं दी। कई शिकायतों के बावजूद राज्यपाल कोश्यारी ने 12 विधायकों की नियुक्ति नहीं की, इसे लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बीच शीत युद्ध भी छिड़ गया था। हालांकि माविआ सरकार के जाने तक 12 विधायकों की नियुक्ति का मसला सुलझ नहीं सका था, लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी है, तो तकनीकी रूप से 12 विधायकों की नियुक्ति पर कोई रोक नहीं है। यह देखना होगा कि क्या राज्य सरकार तेजी से कदम उठाएगी और नई याचिका दायर होने से पहले 12 विधायकों को नियुक्त करेगी।
इस निर्णय के बाद अब 12 और लोगों को विधायकी में मौका मिल सकता है, इसके लिए एक बार फिर उपमुख्यमंत्री अजित पवार गुट, शिंदे गुट और भाजपा के इच्छुक नेताओं की ओर से लॉबिंग शुरू होने की संभावना है। इसलिए राजनीतिक हलके की नजर इस बात पर रहेगी कि आने वाले समय में क्या होता है।
महाविकास अघाड़ी के दौरान सरकार ने 12 विधायकों की सूची राज्यपाल को भेजी थी, लेकिन राज्यपाल द्वारा इस पर कोई निर्णय नहीं लेने पर नासिक के सामाजिक कार्यकर्ता रतन सोली ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि राज्यपाल को यह नियुक्ति करने का आदेश दिया जाये। लेकिन उस वक्त कोर्ट ने राय जाहिर की थी कि हम राज्यपाल को आदेश नहीं दे सकते। इसके बाद सोली ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, और इसी अवधि के दौरान महाविकास अघाड़ी सरकार का पतन हुआ। इसके बाद शिंदे-फडणवीस सरकार सत्ता में आई। नई सरकार ने नये लोगों की सूची राज्यपाल को दी, तभी याचिकाकर्ता रतन सोली ने याचिका वापस लेने का प्रस्ताव शुरू किया। इस पृष्ठभूमि में कोल्हापुर के ठाकरे समूह के शहर प्रमुख सुनील मोदी ने सुप्रीम कोर्ट में भागीदारी के लिए याचिका दायर की थी। अब जज ने रतन सोली को याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी है।