विधान परिषद में उद्धव गुट को लगा तीसरा और बड़ा झटका

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विधान परिषद में उद्धव गुट को लगा तीसरा और बड़ा झटका

उपसभापति नीलम गोऱ्हे ने छोड़ा उद्धव गुट। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की मौजूदगी में शिंदे गुट का थामा दामन 

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई : विधानसभा के निर्वाचित विधायकों की बगावत के बाद अब विधान परिषद में चुने गये विधायकों का भी ठाकरे गुट छोड़ना लगातार जारी है। ठाकरे गुट को एक और झटका लगा है, विधान परिषद की उपसभापति डाॅ. नीलम गोऱ्हे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना में शामिल हो गई हैं। कुछ दिन पहले विधायक मनीषा कायंडे मुख्यमंत्री शिंदे की पार्टी शिवसेना में शामिल हो गई थीं. उसके बाद नीलम गोऱ्हे की शिवसेना में एंट्री के बाद ठाकरे गुट को बड़ा झटका लगा है।

डॉ.गोऱ्हे की शिंदे ग्रुप में एंट्री से हर कोई हैरान है, नीलम गोऱ्हे को ठाकरे समूह के प्रमुख नेता के रूप में भी देखा जाता था। भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद उन्होंने बड़ी कुशलता से ठाकरे का साथ दिया था। उनका ठाकरे गुट को रामराम कहना उद्धव ठाकरे के लिए बहुत बड़ा झटका है। नीलम गोऱ्हे ने विधानभवन में स्थित शिवसेना पार्टी कार्यालय में शिंदे गुट का दामन थामा, इस पार्टी प्रवेश कार्यक्रम में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित उप मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस और उदय सामंत मौजूद रहे।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना सही रास्ते पर चल रही है। पार्टी में प्रवेश पर नीलम गोऱ्हे ने कहा कि उन्होंने महिला विकास, महाराष्ट्र और देश के विकास के मुद्दों पर एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फड़नवीस के साथ मिलकर काम करने का फैसला किया है।

नीलम गोऱ्हे ने कहा कि मैं स्व.बाला साहेब ठाकरे के मार्गदर्शन में 1998 में शिव सेना पार्टी में शामिल हुईं। मैं शिव सेना में अच्छा काम कर सकती हूं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ही असली शिवसेना है। इसलिए मैं आज एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फड़णवीस की मौजूदगी में शिवसेना का समर्थन करती हैं।

नीलम गोऱ्हे लगभग 25 साल पहले बालासाहेब के मार्गदर्शन में शिवसेना में शामिल हुईं थी, तब से वह समय-समय पर शिवसेना की वकालत करती रही हैं। उन्होंने महिलाओं के लिए भी बहुत कुछ किया है, नीलम गोऱ्हे को एक निष्ठावान शिवसैनिक के रूप में देखा जाता है। इतने सालों तक ठाकरे के साथ रहीं नीलम गोऱ्हे के शिंदे खेमे में जाने के बाद यह ठाकरे गुट के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।

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