मणिपुर को जल्द से जल्द शांत और फिर से बहाल नहीं किया गया तो, न केवल मणिपुर बल्कि पुर्वोत्तर के सभी राज्य अलग होने पर मजबूर हो जायेंगे। और इसकी जिम्मेदार केवल केंद्र सरकार होगी – राज ठाकरे 

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मणिपुर को जल्द से जल्द शांत और फिर से बहाल नहीं किया गया तो, न केवल मणिपुर बल्कि पुर्वोत्तर के सभी राज्य अलग होने पर मजबूर हो जायेंगे। और इसकी जिम्मेदार केवल केंद्र सरकार होगी – राज ठाकरे 

हिंसा से सुलगते मणिपुर पर मनसे प्रमुख की केंद्र सरकार को चेतावनी। पत्र लिखकर मणिपुर में बहाली की मांग 

योगेश पाण्डेय – संवाददाता

मुंबई – यदि मणिपुर में जल्द से जल्द शांति बहाल नहीं की गई और पीड़ित परिवारों के जख्मों पर मरहम नहीं लगाया गया तो देश से अलग होने का विचार न केवल मणिपुर में बल्कि पूर्वोत्तर भारत के सभी राज्यों में जोर पकड़ लेगा और इसके लिए केवल और केवल केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। इसलिए मैं प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध करता हूं कि वे ठोस कदम उठाएं और सुनिश्चित करें कि मणिपुर बहाल हो। ऐसी स्पष्ट भूमिका अपनाते हुए मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र लिखकर सुझाई है।

मणिपुर में पिछले दो महीने से हिंसा भड़की हुई है, आए दिन हिंसा की नई घटनाएं हो रही हैं। मणिपुर में गुस्साई भीड़ ने भाजपा के एक मंत्री के घर पर भी हमला किया है। एक ओर जहां मणिपुर में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी भी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। इसे लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर चेताया है।

राज ठाकरे ने अपने पत्र में लिखा है कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द मणिपुर में हिंसा रोकनी चाहिए, अन्यथा मणिपुर समेत पूर्वोत्तर भारत में देश से अलग होने का विचार जोर पकड़ लेगा और इसके लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार होगी। राज ठाकरे ने पत्र में यह भी कहा कि अगर मणिपुर में मौजूदा नेतृत्व स्थिति को संभालने में अप्रभावी है तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को समय रहते उचित और कारगर फैसला लेना चाहिए।

राज ठाकरे ने पत्र में कहा, पूर्वोत्तर भारत का मणिपुर राज्य सचमुच असंतोष की आग में जल रहा है। हालात इस कदर बिगड़ गए कि लोगों ने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी के एक मंत्री के घर पर हमला कर आग लगा दी। ये सब पिछले दो महीने से चल रहा है और फिर भी केंद्र सरकार हालात पर काबू पाने में क्यों नाकाम हो रही है? ये समझ में नहीं आता।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह कहकर कांग्रेस को बदनाम करते थे कि कांग्रेस ने साफ तौर पर उत्तर पूर्व भारत की अनदेखी की है। लेकिन आज जब उनके कार्यकाल में पूर्वोत्तर भारत का एक राज्य सुलग रहा है, तो वे चुप क्यों हैं, यह मेरे समझ से परे है। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह चार दिन तक मणिपुर में रहे, फिर भी हालात काबू में क्यों नहीं आए? इस मुद्दे पर कुछ दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने चिंता जताई थी। राज ठाकरे ने पत्र में कहा है कि कम से कम इसके बाद प्रधानमंत्री की ओर से ठोस कार्रवाई की जायेगी।

पत्र में राज ठाकरे ने आगे कहा कि अगर मणिपुर का वर्तमान नेतृत्व स्थिति को संभालने में अप्रभावी है, तो भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को उचित निर्णय लेना चाहिए। अटल बिहारी बाजपेयी ने उत्तर-पूर्वी राज्यों को एक धारा में लाने के लिए काफी प्रयास किये थे। लेकिन वर्तमान में जिस तरह से मणिपुर की उपेक्षा हो रही है, उसे देखकर यह आशंका है कि वाजपेयी की सारी कोशिशें बर्बाद हो जायेंगी।

अगर समय रहते मणिपुर को शांत नहीं किया गया और यहां की पीड़ित जनता को सांत्वना नहीं दी गई तो न सिर्फ मणिपुर बल्कि पूर्वोत्तर भारत में भी देश से अलग होने का विचार जोर पकड़ लेगा और इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी। इसलिए मैं प्रधान मंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से अनुरोध करता हूं कि वे ठोस कदम उठाएं और सुनिश्चित करें कि मणिपुर फिर से बहाल हो।

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