मुंबई सत्र न्यायलय द्वारा गुजरात दंगों से जुड़े बेस्ट बेकरी मामले में और दो आरोपी बरी

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मुंबई सत्र न्यायलय द्वारा गुजरात दंगों से जुड़े बेस्ट बेकरी मामले में और दो आरोपी बरी

साल 2002 में हुए गुजरात दंगों में बेस्ट बेकरी में जलाये गये थे 14 लोग। इस नरसंघार में महिलाओं समेत बच्चों का भी समावेश था 

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – मुंबई सत्र न्यायलय ने मंगलवार को वड़ोदरा में साल 2002 में हुए गुजरात दंगों से जुड़े बेस्ट बेकरी मामले में दो और आरोपियों को बरी कर दिया है। आरोपी हर्षद सोलंकी और मफद गोहिल को इस नरसंहार मामले में 2013 में गिरफ्तार किया गया था। इन दोनों पर वड़ोदरा के हनुमान टेकड़ी इलाके में स्थित बेकरी पर हमला करने वाली भीड़ का हिस्सा होने के मामले में मुकदमा चलाया गया था। इस मामले में कुल 21 लोगों को आरोपी बनाया गया था। 3 मार्च 2002 को बेस्ट बेकरी नरसंहार में महिलाओं और बच्चों सहित 14 बेकसूर लोगों की आग में जलकऱ मौत हो गई थी।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, वड़ोदरा स्थित बेस्ट बेकरी पर हमला 27 फ़रवरी 2002 के गोधरा कांड का नतीजा था। कांड के तहत गुस्साई मुस्लिम भीड़ ने साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी पर आग लगा दी थी। इस एक्सप्रेस से कार सेवक अयोध्या से लौट रहे थे, जिसमें कुल 56 कारसेवकों समेत अन्य यात्रीयों की मौत हो गई थी साथ ही 56 अन्य गंभीर रूप से घायल हो गये थे।

3 मार्च 2002 को लगभग 1000 से अधिक लोगों की बड़ी भीड़ ने वड़ोदरा में बेस्ट बेकरी पर हमला किया। दुकान के मालिक हबिबुल्लाह शेख और उनका परिवार उसी परिसर में रहता था। भीड़ ने बेकरी का सामान और कच्चा माल लूट कर कच्चे पेट्रोल बम फेंककर बेकरी में आग लगा दी, जिसमें महिलाओं एवं बच्चों समेत 14 लोगों की मृत्यु हो गई थी।

27 जून 2003 को वड़ोदरा की एक अदालत ने गावाहों के मुकर जाने के बाद गुजरात दंगा मामले में सभी 21 अभियुक्तों को बरी कर दिया था। कुछ गवाहों ने बाद में मिडिया को बताया कि वे दबाव में थे। मामले का संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की थी, जिसने 2004 में मुंबई में बेस्ट बेकरी मामले सहित कई दंगा मामलों में पुनर्विचार का आदेश दिया था।

मुक़दमे के पहले चरण में मुंबई सत्र न्यायलय ने मुकदमा चलाने वाले 17 लोगों में से 9 को दोषी ठहराया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। जबकि अन्य आठ को उनके खिलाफ सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था।

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