मुख्यमंत्री मौन, राज्य में शिवसेना नेता बढ़ा रहे भाजपा की मुश्किलें
भाजपा को 30 से अधिक सीट देने पर महायुति में फंसा पेंच। शिवसेना 18 से कम सीटों पर मानने को तैयार नहीं
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – राज्य में लोकसभा चुनावों में सीट शेयरिंग को लेकर जहां अभी तक महाविकास अघाड़ी (मवीआ) के घटक दलों में अंतिम सहमति नहीं बन पाई है, तो वहीं दूसरी ओर राज्य में एक साथ मिलकर सरकार चला रहे महायुति में खींचतान सामने आ रही है। भाजपा ने लोकसभा चुनावों के लिए 195 सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है, लेकिन इसमें महाराष्ट्र की एक भी सीट शामिल नहीं है। इसकी बड़ी वजह है कि शिवसेना, भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के बीच सीट बंटवारे के फॉर्मूले को लेकर कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। शिवसेना कम से कम 18 सीटों पर चुनाव लड़ने की कोशिश कर रही है। पार्टी के कुछ वरिष्ठ सांसद और नेता खुले तौर पर प्रमुख सीटों का दावा कर रहे हैं और यहां तक कि यह भी कह रहे हैं कि वे अपने क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों के लिए प्रचार नहीं करेंगे। इन नेताओं में शिवसेना के पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल, सांसद गजानन कीर्तिकर और पूर्व मंत्री रामदास कदम शामिल हैं। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना नेताओं के तेवरों से भाजपा मुश्किल में हैं।
शिवसेना के पूर्व सांसद आनंदराव अडसुल अमरावती से चुनाव लड़ने के लिए अड़े हैं, अडसुल यह दावा तब कर रहे हैं जब महायुति मौजूदा निर्दलीय सांसद नवनीत राणा को टिकट देने की योजना बना रही है। अडसुल ने कहा कि अमरावती लोकसभा सीट शिवसेना की है, इसलिए अमरावती से ही चुनाव लड़ूंगा। 2019 में जब एनडीए गठबंधन में था तब शिवसेना का उम्मीदवार चुनाव के लिए खड़ा हुआ था। नवनीत राणा को जो मन में आता है, बोलने की आदत है। हम उनकी तरह बात करने के आदी नहीं हैं। अडसुल ने कहा कि अमरावती निर्वाचन क्षेत्र कभी भाजपा का नहीं रहा। राणा भले ही भाजपा में शामिल हो जाएं, लेकिन क्या उन्हें यह निर्वाचन क्षेत्र मिल जाएगा? हम अपना दावा नहीं छोड़ेंगे, हम यहां से किसी भी हाल में चुनाव लड़ेंगे।
इसी तरह शिवेसना नेता रामदास कदम ने रत्नागिरी निर्वाचन सीट पर अपना दावा करते हुए कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, हम यह निर्वाचन क्षेत्र नहीं छोड़ेंगे। भाजपा सबको मारकर जिंदा रहना चाहती है, लेकिन ऐसा नहीं होगा। हम दो भाई हैं, जो हमारा है उसे बांटो लेकिन जो मेरा है उसे मत लो। यह नहीं चलेगा। महायुति में ऐसा नहीं होना चाहिए। हम रत्नागिरी नहीं छोड़ेंगे। यह हमारा हक है। हमारे उम्मीदवार वहां से चुने गए हैं। पिछले हफ्ते, शिवसेना के वरिष्ठ सांसद गजानन कीर्तिकर ने शिवसेना के लिए 12 सीटों के प्रस्ताव पर असहमति जताई थी।