मराठा आरक्षण को लेकर राज्य की शिंदे सरकार का बड़ा फैसला
जल्द ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की कवायद में सरकार। 18 फ़रवरी से 25 फ़रवरी के बीच विशेष सत्र की अटकलें, इसके बाद राज्य का बजट सत्र शुरू होगा
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – मराठा आरक्षण बढ़ाने को लेकर राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी मे मुताबिक 18 फ़रवरी के बाद सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने जा रही है, यह विशेष सत्र 18 से 25 फ़रवरी के बीच बुलाया जायेगा। इसके बाद विधानसभा का बजट सत्र शुरू होगा और महीने के आखिरी में राज्य का बजट पेश किया जायेगा।
विशेष सत्र की तारीख तय करने के लिए राज्य सरकार मराठा सर्वें का इंतजार कर रही है। विधानसभा के विशेष सत्र से पहले मंगलवार को पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट कैबिनेट के सामने समीक्षा के लिए प्रस्तुत की गई। अब इस रिपोर्ट को विशेष सत्र के दौरान सदन में पेश किया जायेगा। बता दें की राज्य सरकार ने मराठा कोटे को लेकर आंदोलन कर रहे मराठा नेता मनोज जरांगे पाटिल की मांगे मान ली हैं।
गोखले इंस्टिट्यूट फॉर पॉलिटिक्स एंड इकोनॉमिक्स ने राज्य के लगभग 2.5 करोड़ परिवारों का सर्वें किया है। अब महाराष्ट्र स्टेट बैकवर्ड क्लास कमीशन इस सर्वें के परिणामों का विश्लेषण कर रहा है, और उम्मीद जताई जा रही है की इसे जल्द ही राज्य सरकार को सौंप दिया जायेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट मिलने के बाद ही विधानसभा के विशेष सत्र की तारीखों का ऐलान किया जायेगा। बताया जा रहा है कि इस सत्र के दौरान मराठा आरक्षण को लेकर सरकार विधेयक पेश करेगी। इससे पूर्व भी सरकार दो बार विधेयक लाकर मराठा कोटा देने का प्रयास कर चुकी है, हालांकि बाद में कोर्ट द्वारा इसपर रोक लगा दी गई थी।
साल 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के दौरान एक अध्यादेश लाया गया था, जिसमें शिक्षा और सरकारी नौकारीयों में 16 प्रतिशत मराठा आरक्षण का प्रावधान था। यह नारायण माणे कमिटी की सर्वें रिपोर्ट पर आधारित था, जो कांग्रेस – राकांपा सरकार में मंत्री थे। बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस आरक्षण पर रोक लगा दी। इसके बाद भाजपा – शिवसेना सरकार सत्ता में आई और 2018 में देवेंद्र फडणवीस सरकार ने 16 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए क़ानून बनाया, जो कि एम. जी.गायकवाड़ कमीशन की रिपोर्ट पर आधारित था। हालांकि साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि मराठा आरक्षण 50 फीसदी सीमा को क्रॉस कर रहा है।
अब गोखले इंस्टिट्यूट के सर्वें पर भी सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि इस सर्वें की क्वालिटी ठीक नहीं है। बता दें कि आरक्षण की मांग को लेकर सरकार द्वारा मसौदा जारी करने के बाद ही मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में मुंबई की ओर बढ़ रहे आंदोलनकारी पीछे हटे थे। मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे की मांग थी कि उन्हें फूलप्रूफ आरक्षण दिया जाए। इसके अलावा मराठों को कुणबी जाति सर्टिफिकेट देने वाला सरकारी आदेश पारित किया जाए और आंदोलनकारीयों के खिलाफ दर्ज मुक़दमें तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाएं।