मराठा आरक्षण उपसमिति की बैठक के बाद मुख्यमंत्री का बड़ा ऐलान
पुराने कुणबी रिकॉर्ड वाले मराठों को तत्काल आरक्षण देगी शिंदे सरकार
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – मराठा आरक्षण के मुद्दे पर राज्यव्यापी आंदोलन के मद्देनजर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। कुनबी अभिलेख वाले मराठों को तुरंत प्रमाण पत्र दिया जाएगा, साथ ही सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन के जरिए मराठा आरक्षण पाने के लिए नए प्रयास किए जाएंगे, ऐसा मुख्यमंत्री शिंदे ने बताया। सह्याद्रि गेस्ट हाउस में मराठा आरक्षण उपसमिति की बैठक बुलाई गई, इस बैठक में कमेटी द्वारा अब तक किये गये कार्यों की रिपोर्ट सौंपी गयी इसके बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बैठक का ब्योरा मीडिया के समक्ष रखा।
मराठा समुदाय के आरक्षण को लेकर मनोज जारांगे पाटिल की भूख हड़ताल और राज्य के विभिन्न हिस्सों में आंदोलन चल रहा है। इस पृष्ठभूमि में, मैंने अत्यंत महत्वपूर्ण मराठा आरक्षण उप-समिति की बैठक में भाग लिया जहां काफी विस्तृत चर्चा हुई। पुराने कुनबी अभिलेखों का पता लगाने के लिए हमारे द्वारा जस्टिस शिंदे समिति का गठन किया गया था, उस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट हमें सौंप दी है। हम इस रिपोर्ट को कैबिनेट बैठक में पेश करेंगे और इसे स्वीकार कर आगे बढ़ेंगे। जस्टिस शिंदे कमेटी ने 1 करोड़ 72 लाख दस्तावेजों की जांच की,इसमें 11530 कुनबी अभिलेख मिले। बहुत पुराने पुराने रिकॉर्ड जांचे, उर्दू और मोडी लिपि में रिकॉर्ड जांचे, हैदराबाद से पुराने, सबूत, रिकॉर्ड के लिए अनुरोध किया। उसमें कुछ और कुनबी रिकार्ड भी मिलने की संभावना है, इसमें दो माह का समय लगेगा। शिंदे समिति ने कई सबूतों की जांच की है, अच्छा और विस्तृत काम किया है। इसलिए सरकार ने उन्हें दो महीने का विस्तार दिया है। हालांकि हमने उनसे कहा है, जितनी जल्दी हो सके अंतिम रिपोर्ट जमा करें। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि अगर कुनबी सर्टिफिकेट रिकॉर्ड मिला तो आगे की कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही मूल मराठा आरक्षण को सुप्रीम कोर्ट में रद्द कर दिया गया है, सरकार इस पर काम कर रही है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने क्यूरेटिव पिटीशन को सुनवाई की इजाजत दे दी है। एकनाथ शिंदे ने यह भी कहा कि राज्य सरकार का काम युद्ध स्तर पर है। हालाँकि यह मामला तब सामने आया था जब देवेन्द्र फड़णवीस मुख्यमंत्री थे, उस समय मराठा समुदाय को आरक्षण मिला था। हाईकोर्ट में उस आरक्षण को बरकरार रखा गया था, लेकिन दुर्भाग्य से, यह आरक्षण सर्वोच्च न्यायालय में रद्द कर दिया गया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को आरक्षण में कुछ त्रुटियां मिलीं। उस समय सरकार को मराठा आरक्षण के पक्ष में राजी नहीं किया जा सका और कई दस्तावेज जमा करने में देरी हुई। लेकिन अब हम यह साबित करने की कोशिश कर रहे हैं कि मराठा समाज कितना पिछड़ा है। वहीं, मुख्यमंत्री ने बताया कि मराठा आरक्षण उपसमिति और सरकारी अधिकारी जल्द ही मनोज जारांगे पाटिल के कुछ प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करेंगे।
एकनाथ शिंदे ने कहा कि सोमवार की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि शिंदे समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट में स्वीकार कर पुराने कुनबी रिकॉर्ड वालों की जांच कर उन्हें तुरंत प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
हमें सोचना चाहिए कि क्या मराठा समुदाय की आड़ में कोई ऐसी घटनाएं रचने की कोशिश कर रहा है जिससे आंदोलन उपद्रव बन जाए। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मनोज जारांगे पाटिल और मराठा प्रदर्शनकारियों को यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि आरक्षण आंदोलन को नया रूप न मिले।