शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 350 साल पूरे
प्रधानमंत्री ने शिवाजी महाराज को कोटि – कोटि नमन कर कहा, उन्होंने गुलामी की मानसिकता खत्म की। एक भारत-श्रेष्ठ भारत का विजन उनकी प्रेरणा है
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – महाराष्ट्र के रायगढ़ किले में मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। इसी दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वीडियो मैसेज टेलीकास्ट किया गया। मैसेज में उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने गुलामी की मानसिकता खत्म की। जब उनका राज्याभिषेक हुआ था, तब स्वराज का नारा चारों दिशाओं में गूंजा था। शिवाजी ने हमेशा भारत की एकता और अखंडता को सर्वोपरि रखा। आज एक भारत-श्रेष्ठ भारत के विजन में उनके विचारों का प्रतिबिंब देखा जा सकता है।
राष्ट्र कल्याण और लोक कल्याण उनकी शासन व्यवस्था के मूल तत्व रहे हैं। मैं आज छत्रपति शिवाजी महाराज के चरणों में कोटि-कोटि नमन करता हूं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज साहस के प्रतीक हैं और उनका जीवन तथा आदर्श प्रेरणा के स्रोत हैं। राज्य और प्रजा का कल्याण छत्रपति शिवाजी महाराज के शासन का मूल सिद्धांत था। उनका राज्याभिषेक दिवस नई चेतना, नई ऊर्जा लेकर आया है। शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक उस कालखंड का एक अद्भुत और विशिष्ट अध्याय है। छत्रपति शिवाजी महाराज का व्यक्तित्व अद्भुत था। उन्होंने स्वराज की भी स्थापना की और सुराज भी कायम किया। वो अपने शौर्य के लिए भी जाने जाते हैं और अपने सुशासन के लिए भी।
सैकड़ों सालों की गुलामी ने हमारे देशवासियों का स्वाभिमान और आत्मविश्वास छीन लिया था। उस समय लोगों में विश्वास जगाना एक कठिन काम था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने उस वक्त न केवल हमलावरों का मुकाबला किया बल्कि लोगों में यह विश्वास भी जगाया कि खुद का शासन संभव है।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि शिवाजी महाराज ने भारत के सामर्थ्य को पहचान कर जिस तरह से नौसेना का विस्तार किया वो आज भी हमें प्रेरणा देता है। ये हमारी सरकार का सौभाग्य है कि छत्रपति शिवाजी महाराज से प्रेरणा लेकर पिछले साल हमने गुलामी के एक निशान से नौसेना को मुक्ति दी थी।
अंग्रेजी शासन की पहचान को हटा कर शिवाजी महाराज की राज-मुद्रा को जगह दी थी। दरअसल 2 सितम्बर 2022 को भारत सरकार ने इंडियन नेवी के झंडे में बदलाव करते हुए इससे सेंट जॉर्ज क्रॉस को हटा दिया था। नए झंडे में एक तरफ सत्यमेव जयते लिखा है, जबकि दूसरी तरफ एंकर बना हुआ है। ये शिवाजी महाराज की शाही मुहर है।