दल-बदल निषेध अधिनियम चिकित्सा समिति के अध्यक्ष पद पर राहुल नार्वेकर की नियुक्ति
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने की नियुक्ति। विपक्षी दलों ने जमकर की टिप्पणी
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को दल-बदल निषेध अधिनियम चिकित्सा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। राहुल नार्वेकर की कमेटी दल-बदल निषेध कानून की समीक्षा करेगी। यह घोषणा ओम बिरला ने मुंबई में महाराष्ट्र के विधान भवन में आयोजित दो दिवसीय 84वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन पर की।
ओम बिरला ने कहा कि दल-बदल निषेध कानून की समीक्षा एक नियमित प्रक्रिया है। 2019 में तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई, उस समय राजस्थान विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष सी.पी. जोशी अध्यक्ष थे। पिछली कमेटी ने कुछ काम किया है। बिड़ला ने कहा कि वह अब राहुल नार्वेकर को इसकी जिम्मेदारी दे रहे हैं।
राहुल नार्वेकर की नियुक्ति की विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने आलोचना की है। जिसमें शिवसेना उद्धव बाला साहेब ठाकरे पार्टी के नेता सांसद संजय राउत, विनायक राउत, आदित्य ठाकरे, सुषमा अंधारे, राकांपा शरद पवार गुट के विधायक जितेंद्र आव्हाड शामिल हैं।
एक ऐसा शख्स जिसने अब तक 10 धर्म परिवर्तन किए और उन्हें पचा लिया। विधायिका ने पार्टी विभाजन समूह को मंजूरी दी। लोकसभा अध्यक्ष बिरला से संजय राउत ने कहा कि डॉ.बाबा साहब अंबेडकर के संविधान का अपमान किया जा रहा है। सांसद विनायक राऊत ने कहा कि मराठी में यह कहावत बंदर को तलवार देने जैसी है।
शिवसेना ठाकरे गुट की उपनेता सुषमा अंधारे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर कहा कि क्या आपने कभी किसी अपराधी को जज बनते देखा है? आप क्या कहते हैं, अगर नहीं बनता है तो राहुल नार्वेकर को देख लीजिए, जिसने दिनदहाड़े महाराष्ट्र में लोकतांत्रिक व्यवस्था को नष्ट कर दिया था। उसी नार्वेकर को नियुक्त किया गया है। देश की दल-बदल निषेध अधिनियम समिति के अध्यक्ष के रूप में!
दल-बदल निषेध अधिनियम के संबंध में भारतीय संविधान की 10वीं अनुसूची पर अध्ययन समिति के अध्यक्ष के रूप में राहुल नार्वेकर के चयन से बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है। जितेन्द्र आव्हाड़ ने कहा कि अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सिद्धांत और नैतिकता को ताक पर रखकर सभी दलों में रह चुके व्यक्ति को मंत्री बनाना संवैधानिक मूल्यों का सबसे बड़ा मजाक है।
यह नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने की है। अनियमितताओं से परे बिड़ला की राजनीतिक समझ क्या है, यह हम सांसदों के निलंबन के मामले में देख ही चुके हैं। इसलिए, जीतेंद्र आव्हाड़ ने कहा कि यह अलग से नहीं कहा जाना चाहिए कि यह शोध समिति जन प्रतिनिधियों के साथ क्या व्यवहार करेगी।