मराठा आरक्षण की आंच में झूलसती राजनीती, शिंदे गुट को तगड़ा झटका 

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मराठा आरक्षण की आंच में झूलसती राजनीती, शिंदे गुट को तगड़ा झटका 

शिंदे गुट के हिंगोली से लोकसभा सांसद हेमंत पाटिल ने मराठा आरक्षण के समर्थन में दिया इस्तीफा। कहा वह एक कार्यकर्ता हैं जो समाज के लिए लड़ते हैं

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – मराठा आरक्षण का मुद्दा गरमा गया है और गांवों में आंदोलन की आग भड़क उठी है, ऐसे में राजनीतिक नेताओं पर भी समाज का दबाव बढ़ गया है। मराठा समुदाय कई वर्षों तक आपके पीछे खड़ा रहा, मराठा समुदाय के लोगों ने राजनीतिक नेताओं को कड़ी चेतावनी दी है कि आपको आरक्षण के लिए समुदाय के पीछे खड़ा होना चाहिए। इसी दबाव के चलते हिंगोली से शिंदे गुट के लोकसभा सांसद हेमंत पाटिल ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर जानकारी देते हुए अपने सांसद पद से इस्तीफा देने की बात कहीं है।

मराठा आरक्षण को लेकर नेताओं को गांवों में आने से प्रतिबंधित किया जा रहा है जिससे राजनीतिक नेताओं को परेशानी हो रही है। राजनीतिक नेता जहां भी जाते हैं, उन्हें मराठा प्रदर्शनकारियों के गुस्से का सामना करना पड़ता है। इससे मराठा समुदाय के नेता और अधिक दुविधा में पड़ गए हैं। हेमंत पाटिल ने कहा कि वह आज सांसद पद से इस्तीफा दे रहे हैं क्योंकि आरक्षण का मुद्दा लंबे समय से लंबित है और उन्होंने कहा कि वह एक कार्यकर्ता हैं जो समाज के लिए लड़ते हैं।

चूंकि मराठा समुदाय की भावनाएं बहुत मजबूत हैं, इसलिए सांसद हेमंत पाटिल ने दिल्ली में मराठा आरक्षण के लिए सांसदों की एक विशेष बैठक बुलाई। हेमंत पाटिल ने मीडिया से बात करते हुए इस्तीफा देने की बात पर कहा महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण का मुद्दा कई वर्षों से लंबित है। इस मुद्दे पर सामुदायिक भावनाएँ प्रबल हैं और मैं कई वर्षों से मराठा समुदाय और किसानों के लिए लड़ने वाला एक कार्यकर्ता रहा हूँ। सांसद हेमंत पाटिल ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को लिखे अपने इस्तीफे में कहा है कि मैं आरक्षण आंदोलन का समर्थन करता हूं और आरक्षण के लिए अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं।

हेमंत पाटिल कट्टर शिवसैनिक हैं और नांदेड़ उनका कार्यक्षेत्र रहा है। उन्होंने नगरसेवक, स्थायी समिति अध्यक्ष, शिवसेना जिला प्रमुख के रूप में काम किया और जब उन्हें मौका मिला तो वह शिवसेना के हिंगोली से सांसद बने। शुरुआती दिनों में हेमंत पाटिल राज ठाकरे के करीबी थे, लेकिन उन्होंने यह देखते हुए सेना में बने रहने का फैसला किया कि उन्हें उद्धव ठाकरे की शिवसेना में मौका मिलेगा।

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