दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट है, शिवसेना द्वारा महाराष्ट्र की लोकसभा सीटों के बारे में एक तरफा दावा करना गलत – मिलिंद देवड़ा
लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस में अंतरकलह शुरू। उत्तर पश्चिम के बाद दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट पर शिवसेना के दावे से बौखलाई कांग्रेस
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – मुंबई में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर महा विकास आघाड़ी के घटक दल शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के नेताओं के बीच अंतरकलह बढ़ती जा रही है | दक्षिण मुंबई लोकसभा सीट पर शिवसेना के दावे से कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा खफा हो गए हैं। उन्होंने दक्षिण मुंबई की सीट को कांग्रेस की परंपरागत सीट बताया है। इससे पहले कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद संजय निरुपम भी उत्तर पश्चिम मुंबई की सीट को लेकर शिवसेना (यूबीटी) के दावे को खारिज कर चुके हैं। निरुपम पहले ही मुंबई की छह लोकसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस का दावा कर चुके हैं।
दरअसल शिवसेना (यूबीटी) ने गिरगांव में एक सभा आयोजित की थी। इस सभा में शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे और दक्षिण मुंबई से वर्तमान सांसद अरविंद सावंत भी मौजूद थे। इस सभा के जरिए शिवसेना (यूबीटी) ने लोकसभा चुनाव प्रचार का शुभारंभ किया, जिसे लेकर कांग्रेस खेमे में बेचैनी है।
इस सभा को लेकर मिलिंद देवड़ा ने अपने कार्यकर्ताओं को एक विडियो मैसेज भेजकर कहा है कि मुझे कंट्रोवर्सी खड़ी नहीं करनी है, न ही किसी तरह का वाद उत्पन्न करना है। लेकिन, मवीआ का एक घटक दल महाराष्ट्र की लोकसभा सीटों के बारे में एक तरफा दावा कर रहा है। इसलिए कार्यकर्ताओं की चिंता मैं समझ सकता हूं।
पिछले सप्ताह शिवसेना (यूबीटी) के प्रवक्ता ने कांग्रेस को शून्य से शुरुआत करने को कहा था। अब गिरगांव की सभा में दक्षिण मुंबई की सीट के लिए नया दावा किया गया है। दक्षिण मुंबई की सीट परंपरागत रूप से कांग्रेस के पास है। लोकसभा का चुनाव आसान नहीं है, इसलिए कोई भी सार्वजनिक रूप से बयानबाजी और दावे ना करे। मुझे उम्मीद है कि यह संदेश मुंबई और दिल्ली के महत्वपूर्ण लोगों तक पहुंचेगा।
देवड़ा के मैसेज के बाद महाविकास आघाडी और इंडिया अलायंस का समीकरण बिगड़ने की आशंका है। विडियो की आखिरी लाइन, जिसमें देवड़ा ने कहा है कि मुंबई और दिल्ली के महत्वपूर्ण नेताओं तक यह मैसेज पहुंचेगा, एक तरह से कांग्रेस के आलाकमान के लिए भी एक इशारा समझा जा रहा है। हालांकि सवाल यह भी उठ रहा है कि आमतौर पर खामोश रहने वाले देवड़ा अचानक इतने मुखर क्यों और कैसे हो गए?
पिछले दिनों जब कांग्रेस महासचिव के. सी. वेणुगोपाल और मुकुल वासनिक के साथ महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं की बैठक हुई थी, उसमें भी राज्य के कांग्रेसी नेताओं ने दिल्ली को यह मैसेज दिया था कि यदि महाराष्ट्र के नेताओं को विश्वास में लिए बिना सीट बंटवारे का फैसला लिया तो बड़ी मुसीबत खड़ी हो सकती है। देवड़ा का यह बयान तो झांकी है, लोकसभा चुनाव तक अभी बहुत कुछ बाकी है।