डाक्टरों की कमी और दवाओं के अभाव में यदि मौत हो रही है, तों यह कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा – बॉम्बे हाईकोर्ट 

Spread the love

डाक्टरों की कमी और दवाओं के अभाव में यदि मौत हो रही है, तों यह कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा – बॉम्बे हाईकोर्ट 

नांदेड़ में हुईं मरीजों की मौत का बॉम्बे हाईकोर्ट ने स्वतः लिया संज्ञान, राज्य सरकार क़ो लगायी कड़ी फटकार 

राज्य के महाअधिवक्ता को तुरंत जानकारी मुहैया कराने का दिया आदेश, अगली सुनवाई शुक्रवार को 

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में पिछले 24 घंटे में 8 और लोगों की मौत की घटना के बाद अस्पताल प्रशासन की उदासीनता सामने आई है। महत्वपूर्ण बात यह है कि मृतकों में 12 नवजात शिशु भी शामिल हैं। इस घटना पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को साफ शब्दों में फटकार लगाई है। कोर्ट ने साफ शब्दों में नाराजगी जताई है कि अगर डॉक्टरों की कमी, दवाओं की कमी से मौत होती है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

औरंगाबाद जिले और शहर का नाम बदलकर संभाजीनगर और उस्मानाबाद जिले और शहर का नाम धाराशिव करने के राज्य सरकार के फैसले को कई याचिकाओं के माध्यम से उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। उन याचिकाओं पर सुनवाई के संबंध में ज़ब महाधिवक्ता डाॅ.बीरेंद्र सराफ अदालत में पेश हुए तो पीठ ने नांदेड़ घटना का जिक्र किया और राज्य सरकार को इससे अवगत कराया।

मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने कहा कि डॉक्टरों की कमी और दवाओं के अभाव में यदि इतनी बड़ी संख्या में मौत हो रही है, तों इसे कत्तई बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। राज्य के महाधिवक्ता डॉ.बीरेंद्र सराफ ने कहा कि वह इस घटना की सटीक जानकारी और यह कैसे हुई, इसके बारे में सारी जानकारी लेंगे और कल प्रारंभिक बयान देंगे। इस पर खंडपीठ ने महाधिवक्ता सराफ को मौखिक निर्देश दिया है कि वह कल हमें विष्णुपुरी के अस्पताल में कितने विशेषज्ञ डॉक्टर हैं सहित अन्य प्रारंभिक जानकारी दें। साथ ही इस सवाल पर शुक्रवार को प्राथमिकता सुनवाई तय की गई है।

विष्णुपुरी, नांदेड़ स्थित डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में सोमवार को 24 लोगों की मौत की घटना सामने आने के बाद हड़कंप मच गया। मृतकों में 12 नवजात शिशु थे जबकि 12 वयस्क मरीज थे,इनमें पांच पुरुष और सात महिलाएं शामिल थीं। वयस्क मरीजों में एक जहर, चार हृदय रोग, एक पेट रोग, दो किडनी रोग, एक प्रसूति संबंधी जटिलता, तीन दुर्घटना और एक अन्य रोग का मरीज शामिल है। 24 लोगों की मौत के बाद पूरी व्यवस्था चरमरा गई थी, लेकिन 24 घंटे के अंदर फिर 8 लोगों की मौत हो गई, जिसमें 4 बच्चे शामिल है।

शिशु रोग विभाग में फिलहाल 142 बच्चों का इलाज चल रहा है, उनमें से 42 की हालत गंभीर है और उनका इलाज गहन चिकित्सा इकाई में किया जा रहा है। हालांकि नांदेड़ सरकारी अस्पताल की बेड क्षमता महज 500 है, लेकिन वर्तमान में यहां 1000 से अधिक मरीज इलाज करा रहे हैं। जिनमें से विभिन्न बीमारियों से पीड़ित 70 मरीज मौत से जूझ रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Right Menu Icon