छगन भुजबल का इस्तीफा नहीं लेता, तो आज भी तेलगी के फर्जी स्टैंप पेपर घोटाला मामले में जेल में ही होते भुजबल – शरद पवार

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छगन भुजबल का इस्तीफा नहीं लेता, तो आज भी तेलगी के फर्जी स्टैंप पेपर घोटाला मामले में जेल में ही होते भुजबल – शरद पवार

आरोप प्रत्यारोप की राजनितिक बयानबाजी में शरद पवार का भुजबल पर नहले पर दहला वाला पलटवार

योगेश पाण्डेय – संवाददाता

मुंबई – महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों केवल आरोप प्रत्यारोप की बयानबाजी का दौर चल रहा है। हाल ही में राकांपा में हुये दो – फाड़ के बाद से ही यहां सियासी माहौल गर्माया हुआ है। एकबार फिर राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल द्वारा सोमवार को की गई टिप्पणी पर पलटवार किया है। शरद पवार ने परोक्ष रूप से भुजबल पर हमला बोलते हुए कहा कि यदि उन्हें तब बर्खास्त नहीं किया होता तो उन्हें तेलगी केस में गिरफ्तार कर लिया गया होता।

एक सभा को सम्बोधित करते हुए अजित पवार गुट की राकांपा के विधायक छगन भुजबल ने कहा था कि मैंने तेलगी के खिलाफ कार्यवाई की थीं, लेकिन इसके बावजूद भी शरद पवार ने तेलगी कांड में मुझसे इस्तीफा लिखवा लिया था। शरद पवार ने भुजबल के इन्ही आरोपों पर पलटवार करते हुए बताया कि आखिरकार उन्होंने भुजबल का इस्तीफा क्यों लिया था।

भुजबल तेलगी घोटाले में जाँच के घेरे में थे, ऐसा अनुमान था की इस केस के तहत भारतीय अर्थव्यवस्था को तकरीबन 32 हजार करोड़ का चुना लगा था। हालांकि भुजबल को तत्कालीन पीडब्लूयुडी मंत्री के रूप में महाराष्ट्र सदन मामले में कथित तौर पर रिश्वत लेने के लिए मार्च 2016 में मनी लांड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था।

ज्ञात हो कि अब्दुल करीम तेलगी अपनी तरह का फर्जी स्टैंप पेपर मामले में करोडो का घोटाला करने वाला पहला मास्टरमाइंड था। तेलगी को 1993 में एक मामूली जलसाजी के मामले में जेल में डाल दिया गया था। सालों बाद उसे सैकड़ो करोड़ रूपये के फर्जी स्टैंप पेपर मामले की साजिश रचने के लिए दोषी ठहराया गया था और 2001 में उसकी गिरफ़्तारी के साथ ही इसका खुलासा हुआ था।

1993 से 2001 के बीच फर्जी स्टैंप पेपर घोटाले में तेलगी ने नाशिक में सरकारी सुरक्षा प्रेस में अधिकारीयों को नकली स्टैंप पेपर प्रिंट करने,सरकारी नीलामी में मशीनरी खरीदी और भारी छूट पर नकली स्टैंप पेपर बेचने के लिए नियुक्त किया। जाँच में आता चला कि उसके बड़े राजनेताओं और वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों के साथ गहरे संबंध थे। तेलगी के खिलाफ 11 राज्यों में करीब 40 मामले दर्ज थे। इस केस के तहत उसे 30 साल की सजा सुनाई गई, सजा के दौरान अक्टूबर 2017 में कर्नाटक की जेल में तेलगी की मौत हो गई।

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