औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने पर कोर्ट का निर्देश
बॉम्बे हाईकोर्ट का सरकार को आदेश, सुनवाई पूरी होने तक नए नाम का उपयोग ने करे सरकार। कोर्ट के आदेश पर फज्य सरकार ने भी दिया आश्वासन
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – राज्य के औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर कर दिया गया है, इस नाम परिवर्तन को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। इस मामले में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार अंतिम फैसले तक बदले हुए नामों का इस्तेमाल नहीं करेगी। राज्य सरकार द्वारा भी अदालत को आश्वासन दिया गया है कि वह औरंगाबाद का नाम छत्रपति संभाजीनगर के रूप में उपयोग नहीं करेगी।
राज्य सरकार ने औरंगाबाद और उस्मानाबाद शहर का नाम बदलने का फैसला किया था। औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर और उस्मानाबाद शहर का नाम धाराशिव कर दिया गया। हालांकि इस फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि नाम बदलने के मामले में तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाये, जब तक इसकी सुनवाई पूरी नहीं हो जाती है।
उद्धव ठाकरे के कार्यकाल की आखिरी कैबिनेट बैठक में शिंदे सरकार ने औरंगाबाद का नाम बदलने के फैसले पर रोक लगा दी थी। जब फैसला हुआ तो शिंदे ने यह कहकर फैसला टाल दिया कि उनके पास बहुमत नहीं है। इसके बाद 16 जुलाई को हुई बैठक में यह घोषणा की गई कि औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर कर दिया गया है।
एमआईएम ने उस्मानाबाद और औरंगाबाद का नाम बदलने का कड़ा विरोध किया है, जिसके लिए सांसद जलील ने औरंगाबाद शहर में एक बड़ा मार्च निकालकर अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था। संभावना है कि आने वाले समय में महानगर पालिका चुनाव के चलते यह विरोध और तेज होगा। 1997 में भी यह नाम बदलने का मामला सुप्रीम कोर्ट में गया था, लेकिन उस वक्त कोर्ट ने इसे निलंबित नहीं किया था।