क्या मुसीबत में शिंदे सरकार, मराठा आरक्षण के खिलाफ सरकार के विरोध में सरकारी नुमाइंदे
छगन भुजबल और नारायण राणे ने बताया कुणबीयों के साथ अन्याय। डैमेज कंट्रोल करते हुए फडणवीस बोले जब तक भाजपा सरकार है, नहीं होगा अन्याय
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – मराठा आरक्षण को लेकर राज्य की शिंदे सरकार में ही फूट देखने को मिल रही है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ओबीसी कोटे में से ही मराठाओं को आरक्षण देने और कुणबी सर्टिफिकेट जारी करने का फैसला किया है। इसे लेकर ओबीसी नेता अब विरोध पर उतारू हो गये हैं। अजित पवार गुट से सरकार में मंत्री छगन भुजबल पहले ही क़ह चुके हैं कि सरकार का फैसला लागु होते ही ओबीसी कोटा में अन्य जातियों को आरक्षण मिलना बंद हो जायेगा। वहीं दूसरी तरफ केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने भी इस फैसले पर सरकार से विचार करने को कहा है। अब उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस डैमेज कण्ट्रोल की भूमिका में नजर आ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि भाजपा इस बात को सुनिश्चित करेगी कि ओबीसी के साथ कोई अन्याय न हो, ज़ब तक भाजपा सरकार है तब तक किसी भी वर्ग के साथ बिल्कुल अन्याय नहीं होने देगी।
बता दें की मनोज जरांगे पाटिल ने मांग की थी कि कुणबी सर्टिफिकेट उन्हें भी जारी किया जाये जिनका खून का रिश्ता है, इसके अलावा उन्हें ओबीसी कोटा में आरक्षण दिया जाये। दूसरी ओर ओबीसी संगठनों का मानना है कि यह उनके आरक्षण पर अवैध कब्जे की तरह है। इससे आरक्षण लेने वालों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होगी। उनका कहना है कि ऐसे में स्थानीय निकाय चुनाव में मिलने वाले आरक्षण से उन्हें हाथ धोना पड़ जायेगा।
सरकार में मंत्री छगन भुजबल ने ओबीसी नेताओं के साथ लगातार दो दिन तक बैठक करने के बाद कहा कि सरकार के फैसले से ओबीसी कैटेगरी के तहत जिन जातियों को आरक्षण मिलता है, वह पूरी तरह खत्म हो जायेगा। वहीं ओबीसी सांगठनों ने सरकार के फैसले के खिलाफ पुरे राज्य में यात्रा करने का फैसला कर लिया है। ओबीसी नेता शब्बीर अंसारी ने कहा कि उन्हें राजनितिक आरक्षण की भी चिंता नहीं है। नौकरी और शिक्षा के आरक्षण के बारे में आप भूल भी जाईये, तो भी स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य जातियों को जगह नहीं मिलेगी। सरकार के फैसले के बाद 27 फीसदी मिलने वाले आरक्षण में तीन फीसदी तक की कमी आ जाएगी। राज्य सरकार का दावा है कि 37 लाख लोगों को कुणबी सर्टिफिकेट जारी किया गया है। ऐसी स्थिति में ओबीसी वर्ग के लिए जीवन – मृत्यु का सवाल खड़ा हो गया है।
भाजपा के कई नेता राज्य सरकार के फैसले का समर्थन कर रहे हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने मनोज जरांगे पाटिल की मांग को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि स्वाभिमानी मराठा खुद को कभी भी कुणबी में शामिल नहीं करवाना चाहेगा। उन्होंने इस मुद्दे पर सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की भी बात कही थी, हालांकि बाद में उन्होंने इसे कैंसिल कर दिया। वहीं डैमेज कण्ट्रोल करने उतरे उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सरकार ने बैलेंस फैसला लिया है। भुजबल की बात का जवाब देते हुए फडणवीस ने कहा कि ओबीसी को इस नोटिफिकेशन से डरने की जरुरत नहीं है, बिना रेकार्ड्स को ठीक से जांचे और सबूत जुटाये कुणबी सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जायेगा।