मराठा आरक्षण को लेकर संकट में सरकार, लोकसभा चुनाव से पहले बिल लाने की तैयारी
सरकार ने 2021 में पारित 127वें संशोधन का हवाला देते हुए कहा, राज्य के पास जरुरत पड़ने पर 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने का अधिकार
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – मराठा आरक्षण आंदोलन के चलते दबाव झेल रही राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार नया विधेयक ला सकती है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा ख़ारिज किये गये मराठा आरक्षण को लागु करने के लिए यह फैसला लिया जा सकता है। सरकारी नौकारीयों और शिक्षण संस्थानों में मराठा आरक्षण की मांग के लिए इन दिनों जोरदार आंदोलन चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने खुद आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल से बातचीत की थी उसके बाद 2 जनवरी तक का अल्टीमेटम देकर यह आंदोलन खत्म किया गया था। अब राज्य पिछड़ा आयोग की रिपोर्ट पर सरकार मराठाओं को बैकवर्ड घोषित करेगी, इसके बाद बिल लाया जायेगा।
यही नहीं बिल लाने के बाद सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल क्यूरेटिव पिटिशन भी वापस लिया जा सकता है। सरकार के एक वरिष्ठ ममंत्री ने कहा है कि मराठाओं को पिछड़ा घोषित करते हुए सरकार एक नए विधेयक पर विचार कर सकती है। राज्य सरकार की ओर से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसमें पिछड़ा आयोग से कहा गया है कि वह मराठाओं के पिछड़ेपन को लेकर डेटा जुटाये। इस डेटा से सरकार को मराठाओं को पिछड़ा घोषित करने में मदद मिलेगी। इससे पहले गायकवाड़ कमिटी की रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण दिया गया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल खड़े कर दिए थे। ऐसे में इस बार डेटा मजबूती के साथ पेश करने की तैयारी है।
मंत्री ने बताया कि साल 2018 में मराठाओं को सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़े के तौर पर आरक्षण दिया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया था कि इसमें पिछड़ेपान के आधार सही नहीं दिए गये हैं। इसलिए सरकार ने अब नया कमीशन बनाया है, जिसके डेटा के आधार पर फैसला लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में एक बार यह बात आ जाये कि किन परिस्थितियों में मराठाओं को पिछड़ा माना जा रहा है तो नया विधेयक पेश कर दिया जायेगा। इससे पहले 2018 में हम जो क़ानून लाये थे, उसे सुप्रीम कोर्ट ने कमियां गिनाकर ख़ारिज कर दिया था। इसके अलावा गायकावड़ कमीशन पर भी कोर्ट ने सवाल उठाये थे।
एकनाथ शिंदे कैबिनेट के सदस्य ने कहा कि 127वां संविधान संशोधन 2021 में पारित हुआ था, उसके आधार पर राज्य के पास अधिकार है कि जरुरत पड़ने पर वह आरक्षण सीमा को 50 फीसदी से अधिक बढ़ा सकती है। यदि मराठा आरक्षण को लेकर आई रिपोर्ट सपोर्ट करती है तो हम इसे लागु कर देंगे। माना जा रहा है की जानवरी में पिछड़ा वर्ग अपनी रिपोर्ट पेश कर सकता है। इसके बाद लोकसभा चुनाव से ठीक पहले विधानसभा में बिल लाया जा सकता है।