
दस्तावेज की एवज में विक्रोली पुलिस ने किया रुक्मणिबाई अस्पताल का एम्बुलेंस जप्त
पुलिस बना रही चालक पर दबाव
केडीएमसी के पास पूर्ण दस्तावेजों की कमी
पूर्व नगरविकास मंत्री शिंदे ने किया था मनपा को डोनेट
एसएन दुबे
कल्याण-पूर्व नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा डोनेट की गई एम्बुलेंस को विक्रोली पुलिस ने जप्त कर लिया है और गाड़ियों के कागजात उपलब्ध नहीं होने का खामियाजा एंबुलेंस चालक भुगत रहे हैं। विक्रोली पुलिस कागजात के लिए मारुति निकम नामक एम्बुलेंस चालक को ही धमका रही है जिससे शव वाहिनी और रुग्णवाहिका चलाने वाले रुक्मणिबाई अस्पताल के चालकों में नाराजगी बनी हुई है। बताया जाता है कि 19 अक्टुबर 2022 को एमएच 04 JP1104 नम्बर के एम्बुलेंस चालक मारुति निकम एक पेशेंट को लेकर मुंबई जा रहे थे। रास्ते में एक दूसरे अन्य वाहन की गलती से उनका एम्बुलेंस डिवाडर से टकरा गया। निकम ने मरीज को फौरन दूसरे एम्बुलेंस में शिप्ट कर अस्पताल के लिए रवाना कर दिया। दुर्घटना के बाद विक्रोली पुलिस ने एम्बुलेंस जप्त कर लिया और चालक से गाड़ी के कागजात लाने की बात कही। बतादें कि वर्षों पहले उक्त एम्बुलेंस तत्कालीन नगरविकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने केडीएमसी के रुक्मणिबाई अस्पताल को डोनेट किया था। पुलिस एम्बुलेंस चालक मारुति निकम पर कागजात के लिए दबाव बना रही है और निकम केडीएमसी मुख्यालय का चक्कर काट रहे हैं। गुरूवार को निकम ने शिवसेना के कल्याण शहर प्रमुख (उभासे) सीपी मिश्रा से मुलाकात की और उन्हें निवेदन देकर पुलिसिया परेशानी से बचाने की मांग की। शिवसेना कल्याण शहर प्रमुख (उभासे) सीपी मिश्रा ने निकम को हर संभव मदद करने की बात कही। बताया जाता है कि कल्याण और डोंबिवली के दोनों अस्पताल में महज 18 से 20 एम्बुलेंस हैं और किसी भी एम्बुलेंस का पूर्ण कागजात वैद्यकीय विभाग के पास उपलब्ध नहीं है। रुक्मणिबाई अस्पताल में शव वाहिनी और एम्बुलेंस की एवज में ना सिर्फ चालकों की संख्या कम है बल्कि 20 लाख जनसंख्या के बीच महज 18 से 20 गाड़ियां ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। बताया जाता है कि शिप्ट के हिसाब से हरेक एम्बुलेंस पर 3 ड्राइवर का होना जरूरी है। लेकिन केडीएमसी के आरोग्य विभाग के पास 18 से 20 एम्बुलेंस के बीच महज 16 ड्राइवर हैं। इतना ही नहीं एम्बुलेंस में सीरियस आक्सीजनयुक्त मरीज के साथ एक नर्स और एक वार्डबॉय का होना जरूरी है लेकिन रुक्मणिबाई अस्पताल में स्टाफ के कमी की वजह से मरीजों को लावारिश छोड़ दिया जाता है।