शिंदे गुट शिवसेना नहीं डरपोक सेना है। ठाणे शिवसेना अध्यक्ष केदार दिघे की शिंदे गुट को कड़ी फटकार

शिंदे गुट शिवसेना नहीं डरपोक सेना है। ठाणे शिवसेना अध्यक्ष केदार दिघे की शिंदे गुट को कड़ी फटकार

खुद को असली शिवसेना और बालासाहेब का अनुयाई बताने वाले धनुष बाण को फ्रिज करने की बात करते हैं। क्यों डर रहे हैं धनुष बाण से ?

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

ठाणे : जैसा कि आगामी महानगर पालिका चुनावों के साथ-साथ स्थानीय निकायों के चुनाव भी नजदीक हैं, शिंदे समूह के वकील नीरज कौल ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ से पार्टी के चुनाव चिह्न पर फैसला होने तक धनुष बाण के निशान को फ्रीज करने का अनुरोध किया। चुनाव आयोग को निर्णय लेने से नहीं रोका जा सकता है। कौल ने कहा कि चूंकि स्थानीय निकाय के चुनाव में कुछ ही दिन शेष हैं, इसलिए इस पर निर्णय लेने की जरूरत है। हालांकि कोर्ट ने अहम निर्देश देते हुए कहा कि सत्ता संघर्ष की अगली सुनवाई 27 सितंबर को होने तक चुनाव आयोग यह तय नहीं करे कि किस गुट को धनुष बाण दिया जाए। दिलचस्प बात यह है कि शिंदे गुट के अधिवक्ताओं द्वारा धनुष-बाण चिन्ह को फ्रीज करने की मांग ने राज्य की राजनीति में एक बड़ी बहस छेड़ दी है। धर्मवीर आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे ने शिंदे गुट के इसी रुख की कड़ी आलोचना करते हुए कहा ही कि जो अपने आप को असली शिवसेना कहते हैं, वे ही शिवसेना कि निशानी धनुष-बाण को फ्रीज कर देना चाहते हैं।

एकनाथ शिंदे समूह की ओर से सुप्रीम कोर्ट में आवेदन कर आयोग से अनुरोध किया गया है कोर्ट 28 चुनाव चिन्हों पर निर्णय लेने की अनुमति दे। इसके खिलाफ उद्धव ठाकरे समूह ने अर्जी दाखिल कर कहा कि चुनाव आयोग को सुनवाई के लिए शिवसेना सदस्यों की अयोग्यता पर फैसला लेने से रोका जाए, विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार, राज्यपाल द्वारा शिंदे को मुख्यमंत्री पद के लिए बुलाना और कुछ अन्य याचिकाएं हैं।

आयोग के वकील अरविंद दातार ने कहा कि किसी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर आपत्ति होने पर चुनाव आयोग को फैसला लेने का अधिकार है, हालांकि ठाकरे समूह के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने आक्रामक तर्क देते हुए कहा कि शिवसेना में विभाजन के बाद, पार्टी के चुनाव चिह्न पर चुनाव आयोग के निर्णय पर स्पष्टता प्राप्त करना आवश्यक है, यह कहते हुए कि चुनाव आयोग को ऐसा नहीं करना चाहिए। फिलहाल पार्टी के चुनाव चिन्ह पर फैसला करने की अनुमति नहीं दी जाए। अदालत ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और चुनाव आयोग को 27 तारीख तक पार्टी के चुनाव चिन्ह पर फैसला नहीं लेने का आदेश दिया है।

एकनाथ शिंदे के बगावत के बाद से मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए या जनसभाओं को संबोधित करते हुए उन्होंने बार-बार दावा किया है कि हम असली शिवसेना हैं। वे बार-बार विधायको और सांसदों की संख्या बता रहे हैं कि जो हमारे साथ हैं वे सब असली शिवसैनिक हैं। इसी कड़ी पर प्रहार करते हुए केदार दिघे ने शिंदे गुट पर निशाना साधा है।

शिंदे समूह धनुष-बाण से इतना डरता क्यों हैं? केदार दिघे ने शिंदे गुट को फटकार लगाते हुए कहा है कि बालासाहेब ठाकरे के विचारों को लेकर चलने वाले, खुद को असली शिवसेना बताने वाले अब बालासाहेब के शिवसेना की निशानी को ही फ्रिज करने पर उतारू हो गए हैं।

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