
दशहरा रैली में ठाकरे गुट को शिंदे गुट द्वारा बड़े झटके की तैयारी
उद्धव गुट के 1 सांसद, 2 विधायक और 5 पूर्व पार्षदों समेत 10-15 नेताओं की शिंदे गुट में जाने कि संभावना
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई : दादर स्थित शिवाजी पार्क मैदान में दशहरा रैली को लेकर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बीच रस्साकशी चल रही है। ऐसे में दशहरा रैली में शिंदे समूह ठाकरे समूह को बड़ा झटका देने की तैयारी में है। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार विजयादशमी पर्व के अवसर पर शिवसेना के 10-15 नेता शिंदे समूह में शामिल होने जा रहे हैं।
शिवसेना के उद्धव ठाकरे के गुट से एक सांसद, दो विधायक और पांच पूर्व पार्षदों के शिंदे के गुट में शामिल होने की चर्चा हो रही है। इन आठ जनप्रतिनिधियों समेत, कुल दस से पंद्रह शिवसेना नेताओं के बारे में कहा जा रहा है कि वे शिंदे समूह के मार्ग की ओर निकल चुके हैं। इन सभी के विभिन्न निगमों में पदस्थापित होने या महत्वपूर्ण पदों पर आसीन किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
दूसरी ओर, यह ज्ञात है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के समूह ने एक अलग रणनीति बनाई है ताकि उद्धव ठाकरे ‘शिवतीर्थ’ शिवाजी पार्क पर दशहरा रैली न कर सकें जिससे ठाकरे परिवार की परंपरा को तोड़ा जा सके। शिवाजी पार्क के मैदान में पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर अनुमति दी जाती है, इसलिए ठाकरे का पारिश्रमिक भारी माना जाता है। इसलिए सूत्रों का कहना है कि शिंदे समूह ने शिवाजी पार्क मैदान को ही फ्रीज करने की तैयारी कर ली है।
एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे को भ्रमित करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। पहले 40 विधायक, फिर 12 सांसद, कुछ पूर्व पार्षद शिंदे समूह में शामिल हुए। अब अगर एक सांसद और दो विधायक भी इसमें हिस्सा लेते हैं तो यह आंकड़ा बढ़कर 42 और 13 सांसद हो जाएगा।
वहीं एकनाथ शिंदे ने कई पदाधिकारियों-शिवसैनिकों को अपनी ओर खींचने के पश्चात अब उद्धव ठाकरे के भरोसेमंद और करीबी नेताओं का भी अपने गले लगाने में जुटे हुए हैं। एकनाथ शिंदे ने पुराने जाने-माने नेताओं को भी करीब लाने की कोशिश की है। शिवसेना पार्टी और धनुष बाण को अपना चुनाव चिन्ह बताते हुए अब शिंदे शिवसेना, ठाकरे और दशहरा रैली के समीकरण को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
कहा जाता है कि शिंदे समूह ने दशहरा रैली के बैकअप योजना के रूप में बीकेसी में एमएमआरडीए मैदान के लिए आवेदन किया था। मालूम हो कि शिंदे गुट ने मुंबई में कई बड़े मैदानों के लिए फील्डिंग की है। जैसा कि दोनों गुटों ने शिवाजी पार्क के लिए दावा किया है, ऐसी संभावना है कि शिवाजी पार्क की अनुमति का निर्णय मुंबई महानगर पालिका के माध्यम से रोक दिया जाएगा। ऐसा लगता है कि शिंदे ने दुविधा इसलिए की है ताकि उद्धव ठाकरे को शिवाजी पार्क या बीकेसी नहीं, बल्कि दशहरा सभा के लिए मुंबई में कोई भी बड़ा मैदान न मिल पाए।