राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राज्य सरकार पर लगाया जबरन वसूली गंभीर आरोप

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने राज्य सरकार पर लगाया जबरन वसूली गंभीर आरोप

आरएसएस की संस्था सहकार भारती ने सहकारी ऋण समितियों से फंड देने के सरकार के फैसले का किया विरोध

योगेश पाण्डेय – संवाददाता 

मुंबई – ऐसा पहली बार देखने को मिल रहा है कि राज्य की शिंदे – फडणवीस सरकार के विरोध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक की सहकारी संस्था ने राज्य सरकार पर हफ्ता वसूलने का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस  के नेतृत्व में राज्य की सत्ता में वापसी करते हुए सरकार बनने के एक महीने बाद आखिरकार मंत्रिमंडल का विस्तार करने का समय आ गया है। इस दौरान जहां भाजपा और शिंदे समूह लगातार एक दूसरे का समर्थन करते नजर आ रहे हैं, वहीं अब यह बात सामने आई है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक संगठन ने पहली बार राज्य में शिंदे-फडणवीस सरकार का सार्वजनिक रूप से विरोध किया है। इस संबंध में एक पत्रिका जारी की गई है और इसमें राज्य सरकार की नीतियों की कड़े शब्दों में निंदा की गई है। इसके अलावा, पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि एक महीने से अधिक समय बीतने के बावजूद भी, राज्य में कोई कैबिनेट नहीं है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पास विभिन्न विषयों पर काम करने वाले कई संगठन हैं। इसी संगठन की सहभगी सहकार भारती संघ ने राज्य सरकार की नीति पर आपत्ति जताते हुए एक पत्रिका जारी किया है। इस पत्रिका में राज्य सरकार के सहकारिता विभाग द्वारा 4 अगस्त 2022 को जारी सर्कुलर पर आपत्ति जताते हुए सहकारी भारती ने राज्य में सहकारी ऋण समितियों के लिए योगदान अनिवार्य करने के सरकारी आदेश के परिपत्र का घोर विरोध किया है। राज्य सरकार द्वारा जारी परिपत्र में, यह उल्लेख किया गया है कि महाराष्ट्र में सभी सहकारी ऋण समितियां योगदान करने के लिए बाध्य होंगी। यह कहना होगा कि यह अप्राकृतिक है, सहकार भारती की पत्रिका में उल्लेखित किया गया है |

राज्य सरकार ने इस तरह का सर्कुलर जारी करके राज्य में सहकारी ऋण संस्थानों के बीच भय का माहौल बनाने की कोशिश की है, वह भी तब जब राज्य सरकार में वर्तमान में कोई नया मंत्रिमंडल नहीं है और राज्य को एक नया सहकारिता मंत्री भी नहीं मिला है। सहकार भारती के रूप में, हम सार्वजनिक रूप से इस सरकारी फरमान का विरोध करते हैं, पत्रिका में यह भी स्पष्ट रूप से कहा गया है।

साथ ही यह भी सवाल किया गया है कि महाराष्ट्र में सहकारी ऋण समितियों को योगदान देने से क्या लाभ होगा? कितनी राशि के क्रेडिट संस्थान सुरक्षित रहेंगे? संचित राशि का निवेश सरकार कहां करेगी ? सरकार के आदेश में इसका कोई जिक्र तक नहीं है। हालांकि, यह धमकी और जबरदस्ती के माध्यम से क्रेडिट संस्थानों से धन के रूप में जबरन वसूली का एक रूप है। इस पत्र में यह भी कहा गया है, राज्य में सहकारी ऋण संस्थाओं पर योगदान देने का सरकार की आरे से काफी दबाव बनाया जा रहा है।

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