
शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, शिवसेना पर कब्जे की सुनवाई सोमवार तक मुल्तवी
चुनाव आयोग को अपनी राय रखने और शिंदे गुट को पुनः हलफनामा प्रस्तुत करने का आदेश
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
मुंबई – शिवसेना पार्टी पर हक को लेकर उठे राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई फिलहाल सोमवार तक के लिए टाल दी है। अदालत ने कहा- सोमवार को अदालत फैसला सुनाएगी की क्या इस मामले को 5 जजों की बेंच को सौंपना चाहिए या नहीं? चीफ जस्टिस ने चुनाव आयोग के वकील से कहा- दोनों पक्षों को चुनाव आयोग में हलफनामा देने की तारीख 8 अगस्त है। अगर कोई पक्ष समय की मांग करता है, तो आयोग उस पर जरूर विचार करे।
इससे पहले गुरुवार को हुई सुनवाई में सबसे पहले शिवसेना के 16 विधायकों की बर्खास्तगी का मामला सुना गया। शिंदे कैंप के वकील हरीश साल्वे ने सबसे पहले अपना पक्ष रखा। साल्वे ने स्पीकर के अधिकार और प्रक्रिया की पूरी जानकारी देते हुए कहा कि जब तक विधायक अपने पद पर है, तब तक वह सदन की गतिविधि में हिस्सा लेने का अधिकारी है। वह पार्टी के खिलाफ भी वोट करे तो वोट वैध होगा।
इस पर चीफ जस्टिस एन. वी. रमन्ना ने सवाल पूछा कि क्या एक बार चुने जाने के बाद विधायक पर पार्टी का नियंत्रण नहीं होता? वह सिर्फ पार्टी के विधायक दल के अनुशासन के प्रति जवाबदेह होता है?
इधर, उद्धव गुट के वकील कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस से अपील करते हुए कहा कि मामला संविधान पीठ को मत भेजें। हम कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी 2 घंटे में अपनी दलील खत्म कर सकते हैं। जो विधायक अयोग्य ठहराए जा सकते हैं, वह चुनाव आयोग में असली पार्टी होने का दावा कैसे कर सकते हैं? इस पर चीफ जस्टिस ने कहा ऐसा करने से किसी को नहीं रोका जा सकता है।
चुनाव आयोग के वकील अरविंद दातार से जब उनका पक्ष पूछा गया तो उन्होंने कोर्ट को बताया कि अगर हमारे पास मूल पार्टी होने का कोई दावा आता है, तो हम उस पर निर्णय लेने के लिए कानूनन बाध्य हैं। विधानसभा से अयोग्यता एक अलग मसला है। हम अपने सामने रखे गए तथ्यों के आधार पर निर्णय लेते हैं।
चीफ जस्टिस एन. वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने शिंदे गुट के वकील को कोर्ट का फैसला आने से पहले सरकार बना लेने पर फटकार लगाई थी। बेंच ने कहा था कि वे अपने पॉइंट्स क्लियर करके दोबारा ड्राफ्ट जमा करें, तब इस पर 10 से 15 मिनट विचार किया जाएगा।
असली’ शिवसेना को लेकर सुप्रीम कोर्ट की तीन-जजों की बेंच ने 20 जुलाई को कहा था कि शिवसेना के संबंध में दायर याचिकाओं को बड़ी बेंच के पास भेजा जा सकता है।
बुधवार को दोनों पक्षों के वकीलों में जोरदार बहस हुई। शिंदे गुट के वकील ने कहा कि हमने पार्टी नहीं छोड़ी है। हमने नेता के खिलाफ आवाज उठाई है। हम अभी भी पार्टी में हैं। वहीं उद्धव कैंप के वकील कपिल सिब्बल ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा था बागी विधायक या तो किसी पार्टी में विलय करें या नई पार्टी बनाएं।
हालांकि, एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने पर चीफ जस्टिस एन. वी. रमन्ना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने फटकार भी लगाई। उन्होंने शिंदे पक्ष के वकील से कहा हमने 10 दिन के लिए
सुनवाई टाली थी और आपने सरकार बना ली, स्पीकर बदल दिया।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। हलफनामे में कहा गया है कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार जहरीले पेड़ का फल है। इस जहरीले पेड़ के बीज बागी विधायकों ने बोए थे। शिंदे गुट के विधायकों ने संवैधानिक पाप किया है। शिंदे और बागी विधायक अशुद्ध विचारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं।