संजय राउत की बढ़ सकती है मुश्किलें, ईडी के मुताबिक साजिश के मास्टरमाइंड हैं संजय राउत

संजय राउत की बढ़ सकती है मुश्किलें, ईडी के मुताबिक साजिश के मास्टरमाइंड हैं संजय राउत

पत्रा चॉल मामले में ईडी ने प्रवीण राउत को बताया संजय राउत का मोहरा, दोनों को आमने सामने बिठाकर हो सकती है पूछताछ

योगेश पाण्डेय – संवाददाता

मुंबई – एक ओर जहां समूचा विपक्ष शिवसेना सांसद संजय राउत की गिरफ्तारी को लेकर सत्ता पक्ष भाजपा पर तानाशाही का आरोप लगा रहा है वहीं दूसरी ओर 1,039 करोड़ 79 लाख रुपए के पत्रा चॉल पुनर्विकास और अतिरिक्त एफएसआई घोटाले में गिरफ्तार किए जाने के बाद शिवसेना सांसद संजय राउत 4 अगस्त तक प्रवर्तन निदेशालय की कस्टडी में भेज दिए गए हैं। ईडी द्वारा अदालत में दायर रिमांड एप्लिकेशन में यह दावा किया गया है कि वे इस घोटाले के सक्रिय साजिशकर्ता थे। इस घोटाले में पहले से गिरफ्तार प्रवीण राउत को संजय राउत का ‘फ्रंटमैन’ करार दिया गया है। जल्द ही प्रवीण राउत और संजय राउत को आमने-सामने बिठाकर पूछताछ कर सकती है ईडी।

शिवसेना सांसद संजय राउत के करीबी होने के कारण प्रवीण को महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) से जरूरी मंजूरी मिली। ईडी का दावा है कि अब तक की जांच से पता चला है कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवीण द्वारा अवैध रूप से प्राप्त 112 करोड़ रुपए में से 1 करोड़ 6 लाख रुपए सीधे संजय राउत और उनके परिवार को दिए गए। ईडी ने यह भी दावा किया है कि यह राशि और अधिक हो सकती है।

ईडी की ओर से अदालत में दायर रिमांड एप्लिकेशन के मुताबिक, प्रवीण राउत ने कई बार संजय राउत के परिवार के देश और विदेश में मनाई गई छुट्टियों का पूरा खर्च उठाया था। हालांकि, संजय राउत ने अदालत में कहा है कि उनके खिलाफ यह कार्रवाई विशुद्ध रूप से राजनीतिक बदला है। अदालत में ईडी ने 8 दिन की कस्टडी मांगी थी, जिसे अदालत ने खारिज करते हुए संजय राउत को 4 अगस्त तक ईडी की कस्टडी में भेजा है।

ईडी की जांच में सामने आया है कि म्हाडा की जमीन की एफएसआई को अनधिकृत तरीके से प्राप्त करने के बाद गुरु आशीष कंस्ट्रुक्सन कंपनी ने तेजी से इसे 16 अन्य बिल्डर्स को बेच दिया | प्रवीण राउत इसी कंपनी में एक डायरेक्टर थे। इससे गुरु आशीष कंपनी को एक बड़ा आर्थिक मुनाफा हुआ। हालांकि, यह प्रोजेक्ट अभी तक सिर्फ 10 प्रतिशत ही तैयार हुआ है। इसे पूरा करने के लिए गुरु आशीष कंपनी को एक बड़ा अमाउंट चाहिए, लेकिन वह अब दिवालिया घोषित होने की प्रक्रिया में है।

ईडी के मुताबिक, पत्रा चॉल में रहने वालों ने म्हाडा और गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन कंपनी के साथ ट्रिपल एग्रीमेंट किया था। इस एग्रीमेंट में गुरु आशीष कंपनी के डायरेक्टर प्रवीण राउत की महत्वपूर्ण भूमिका थी। ओरिजिनल एग्रीमेंट यह कहता है कि गुरु आशीष कंपनी म्हाडा की किसी भी जमीन को किसी थर्ड पार्टी को नहीं बेच सकती। इसके बावजूद जमीन को धोखे से बेचा गया। इसके बदले में एचडीआईएल ने प्रवीण राउत को 112 करोड़ रुपए दिए थे।

ईडी ने आगे दावा किया है कि पीएमएलए मामले की जांच के दौरान यह पता चला है कि संजय राउत, प्रवीण राउत, राकेश कुमार वधावन और सारंग वधावन ने मिलकर साजिश रची। चारों ने इस परियोजना को पूरा किए बिना 672 परिवारों के भविष्य को खतरे में डाला और पैसे निकालने की साजिश की। बता दें कि संजय राउत के अलावा तीन अन्य को ईडी पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।

ईडी के मुताबिक, अवैध ढंग से पैसे लेने के बाद इसे पत्रा चॉल परियोजना में निवेश करने के बजाय, मेसर्स गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन्स प्राइवेट लिमिटेड ने पैसा निकाल लिया। इसके निदेशकों में से एक प्रवीण राउत ने परियोजना में कोई पैसा निवेश नहीं किया, इसके बावजूद मनी ट्रेल जांच से पता चला कि 2010-2011 में उन्हें एचडीआईएल से लगभग 112 करोड़ रुपए मिले हैं।

ईडी के मुताबिक, 112 करोड़ को आगे अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। इनमें से कुछ पैसों को डायवर्ट कर उससे कई प्रॉपर्टीज खरीदी गईं। इसी मामले में 5 अप्रैल 2022 को प्रवीण राउत, संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत, स्वप्ना पाटकर के नाम पर दर्ज 11 करोड़ 51 लाख 56 हजार 573 रुपए की संपत्ति कुर्क की गई थी। इन सभी ने किरायेदारों, म्हाडा और बिल्डरों को बड़ा धोखा दिया।

ईडी ने अपनी जांच के आधार पर अदालत को बताया है कि 112 करोड़ में से अब तक संजय राउत और उनकी पत्नी के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए 1 करोड़ 6 लाख 44 हजार 375 रुपयों का पता लगाया जा चुका है।

जांच में यह भी पता चला कि प्रवीण राउत, संजय राउत के करीबी विश्वासपात्र और सहयोगी हैं। गवाहों के बयानों से स्पष्ट होता है कि फ्रंटमैन होने के नाते उन्होंने संजय राउत के साथ अपनी नजदीकी का इस्तेमाल म्हाडा से अप्रूवल पाने और दूसरे लाभों के लिए किया।

ईडी के मुताबिक, संजय राउत ने पीएमएलए की धारा 50 के तहत दर्ज अपने बयान में चॉल परियोजना में प्रवीण राउत के शामिल होने की जानकारी से इनकार किया। उन्होंने कहा कि वे प्रवीण के संपर्क में 2012-13 में आए थे। उनकी पत्नी और प्रवीण राउत की पत्नी एक दूसरे को जानती थीं। उनके कारण ही वे प्रवीण राउत से मिले थे।

ईडी ने आगे कहा कि पत्नी के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर करने के बारे में पूछे जाने पर संजय राउत कोई लीगल वजह नहीं दे सके। इसके अलावा वे प्रॉपर्टी खरीदने में हुए लेनदेन से संबंधित कोई दस्तावेज भी पेश नहीं कर पाए।

रिमांड कॉपी के मुताबिक, जांच में यह भी सामने आया है कि पत्रा चॉल के रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट के दौरान संजय राउत की पत्नी की कंपनी ‘अवनी इन्फ्रास्ट्रक्चर’ ने 2010-11 में अलीबाग के किहिम बीच पर 8 कांट्रैक्ट के तहत 10 लैंड पार्सल खरीदे। ये कॉन्ट्रैक्ट स्वप्ना पाटकर और वर्षा राउत के नाम से किए गए थे। पाटकर ने अपने बयान में कहा है कि इन जमीनों को खरीदने के बदले विक्रेताओं को नकद भुगतान किया गया था और इस नकद भुगतान का स्रोत प्रवीण राउत हैं।

जब ‘अवनी इन्फ्रास्ट्रक्चर’ कंपनी बनाई गई तब संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत एक टीचर थीं और प्रवीण राउत की पत्नी माधुरी राउत उस समय गृहिणी थीं। वर्षा राउत को ‘अवनी इंफ्रास्ट्रक्चर’ में 5625/- रुपए के निवेश के बदले 13 लाख 95 हजार 611 रुपए मिले थे।

ईडी की ओर से दावा किया गया है कि प्रवीण राउत की ओर से संजय राउत को हर महीने 2 लाख रुपए नकद मिले हैं। संजय राउत ने विक्रेताओं को अलीबाग के किहिम बीच स्थित अपनी जमीन बेचने की धमकी दी गई थी। इसके अलावा, उन्होंने ईडी के सामने गवाही देने वालों को भी धमकी दी थी।

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