
सत्ता परिवर्तन और समर्थन के बाद ठाणे में भाजपा का खेल शुरू
एकनाथ शिंदे समर्थक पार्षदों के 67 वार्डों में भाजपा की सेंधमारी, जनसंपर्क अभियान के तहत कार्यकर्ताओं को तैयार रहने की हिदायत
योगेश पाण्डेय – संवाददाता
ठाणे : भाजपा के समर्थन और शिवसेना से बगावत कर एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी शिंदे समर्थक अपने आप को शिव सैनिक ही बता रहे हैं। हालांकि शिवसेना और एकनाथ शिंदे के गढ़ माने जाने वाले ठाणे में अब भाजपा ने सेंध लगाने का मन बना लिया है जिसके चलते शिंदे समर्थक पार्षदों और कार्यकर्ताओं में भ्रम और असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।
शिवसेना और भाजपा दोनों दलों के बीच अब तक ठाणे शहर और आसपास के जिलों में सबसे ज्यादा राजनीतिक प्रतिद्वंदता देखने को मिली है। राज्य के भविष्य के बारे में उत्सुक होने पर, स्थानीय भाजपा नेताओं ने कहा कि वे अगले महीने के भीतर प्रत्येक वार्ड में एक विशेष जनसंपर्क अभियान शुरू करेंगे। कई लोगों ने भौंहें भी चढ़ा दीं क्योंकि बैठक ने उम्मीदवारों को उन वार्डों में काम करने का निर्देश दिया, जहां राज्य में सत्ता परिवर्तन से पहले उनका परीक्षण किया गया था।
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 39 विधायकों के विद्रोह के साथ, आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक समीकरणों को लेकर उत्सुकता है। हालांकि बागी विधायक महाविकास आघाड़ी में राकांपा के नाम पर सत्ता से हटने और बगावत करने का मंत्र जाप करते नजर आए, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ठाणे जिले में एक अलग तस्वीर सामने आई है। ठाणे, नवी मुंबई, मीरा भायंदर, कल्याण डोंबिवली, उल्हासनगर, अंबरनाथ, बदलापुर, जैसे प्रमुख शहरों में भाजपा और शिवसेना पिछले दो वर्षों में आमने-सामने हैं। ग्रामीण इलाकों में भी शिवसेना के स्थानीय नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री कपिल पाटिल और विधायक किसान कठोरे पर हमले करते नजर आ रहे हैं।
ठाणे महानगर पालिका में शिवसेना सत्ता में रही। इसमें कट्टर शिंदे समर्थकों को हमेशा महत्वपूर्ण पद मिले हैं। शिंदे जो कहेंगे वहीं सही कई वर्षों से ऐसा ही होता आ रहा है। इसी पृष्ठभूमि में स्थानीय भाजपा नेता पिछले डेढ़ से दो साल से नगर निगम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते आ रहे हैं, इसके अलावा भाजपा द्वारा पार्टी गठन और चुनाव की तैयारियों को लेकर सुनियोजित कदम उठाए जा रहे हैं।
राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही भाजपा गुट में सवाल उठने लगे, नई सरकार के शपथ लेते ही ठाणे के कुछ नेताओं ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से शिष्टाचार भेंट की। इस बैठक के तुरंत बाद शनिवार को जिला कार्यकारिणी की बैठक हुई और ठाणे में ‘100 फीसदी बीजेपी’ का नारा दिया गया। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद भी शिंदे और उनके समर्थक विधायकों और कार्यकर्ताओं ने शिवसेना में होने की भूमिका निभाई है। ठाणे में शिंदे के समर्थन में तख्तियों पर शिवसेना और धनुष बाण का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इसलिए जहां तीन से चार महीने में होने वाले महानगर पालिका चुनाव में शिंदे के समर्थक किस चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे, इस पर तरह-तरह की दलीलें दी जा रही हैं, वहीं भाजपा ने पार्टी कार्यकर्ताओं को ‘तैयारी के साथ लड़ते रहने’ का संदेश दिया है।
भाजपा विधायक और ठाणे शहर अध्यक्ष निरंजन डावखरे ने कहा कि यह एक नियमित संगठनात्मक बैठक थी। बूथ सशक्तिकरण के लिए पार्टी कुछ कार्यक्रम लेकर आई है, इसी के तहत बैठक आयोजित की गई थी। सौ फीसदी बीजेपी हमेशा से पार्टी का लक्ष्य रही है, बैठक में इस बात पर भी विस्तार से चर्चा हुई कि इसे हासिल करने के लिए क्या करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ‘राज्य में सरकार बदलने से पहले भाजपा ने महानगर पालिका के सभी वार्डों में संभावित उम्मीदवारों की स्क्रीनिंग की गई थी। उनमें से कुछ को तैयारी करने का भी निर्देश दिया गया था। समझा जाता है कि इच्छुक उम्मीदवारों को शनिवार की बैठक में भी काम जारी रखने का संदेश दिया गया था। अगले सप्ताह से हर वार्ड में जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा।